Health-Environment Issue
आजकल हेल्थ को लेकर सब बहुत सतर्क हो गए हैं।
कुछ न कुछ हेल्थ प्रॉब्लम सबके साथ लगी रहती हैं।
और हेल्थ प्रॉब्लमस क्यों ना हो, दिन प्रतिदिन पर्यावरण दूषित होता जा रहा हैं।
पर्यावरण को लेकर अभी भी जागरुकता में कमी आ रही हैं। और समस्या बढ़ती जा रही हैं। नई नई बीमारियाँ हो रही हैं।
बड़े बड़े उद्योगो-कारखानों का निर्माण, बड़े बड़े शहरों का निर्माण जंगल कटने से हो रहा हैं। यही कारण है कि आज के समय में स्वस्थ पर बुरा असर पड़ रहा हैं।
पर्यावरण को अपनी प्रकृति को दूषित भी हम जैसे लोग ही कर रहे हैं। जैसे गलती करने पर हमारे माता पिता, हमारे टीचर्स हमें पनिशमेंट देते हैं वैसे ही प्रकृति भी हमें पनिशमेंट दें रही हैं।
अपनी प्रकृति को साफ सुधरा रखना हमारी जिम्मेदारी है।
मानव स्वस्थ उसकी सबसे बड़ी पूंजी हैं। क्यों की स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ विचार आते हैं। इसलिए स्वस्थ रहना बहुत जरूरी हैं क्योंकी जब हम खुद स्वस्थ रहेगें तभी हम अपने परिवार, समाज, देश को स्वस्थ रख पायगे।
मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण में अटूट संबंध है। हम स्वस्थ जीवन जी सकें, इसके लिए पर्यावरण और उसके घटकों के बीच संतुलन बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।
घर से बाहर हमें बहुत से पर्यावरण का सामना करना होता हैं, जो हमारे अंगों पर प्रभावित डालते हैं।
*वायु
*जल
*ध्वनि
*हवा, जल और तेज आवाज़ में इन सबसे मनुष्य, पशुओं तथा पक्षियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इससे दमा, सर्दी-खाँसी, अँधापन, श्रव का कमजोर होना, त्वचा रोग जैसी बीमारियाँ पैदा होती हैं। लंबे (लम्बे) समय के बाद इससे जननिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं और अपनी चरमसीमा पर यह घातक भी हो सकती हैं।
सरकार द्वारा बनाये गए प्रोग्राम में सरकार का सयोग दें। स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बने।
****पेड़ पौधे लगाएं
जितनी जनसख्या से पेड़ कट रहे हैं। उतनी ही जनसख्या से वृक्षरोपड़ भी होना चाहिए। यही कारण
पर्यावरण दूषित होता जा रहा हैं।
जंगल कट रहे हैं। बस्तियों और शहरों का निर्माण हो रहा हैं।
अगर हर घर से एक पेड़ भी लगाया जाए तो हम प्राकृतिक आपदाओ को रोक सकते हैं।
प्राकृतिक आपदा प्रकृति का क्रोध हैं। प्रकृति को नुकसान हम जैसे ही लोग पहुँचा रहे हैं इसलिए प्रकृति का क्रोध भी हमें ही सहना पड़ेगा।
मैंने एक चिड़ियाँ 🐤 पाली,एक दिन वो उड़ गई ।
फिर मैंने एक गिलहरी 🐿 पाली,वो भी एक दिन चली गई।।
फिर मैंने एक दिन एक पेड़ 🌳 लगाया ।
वो दोनों वापस आ गई ।।
****प्लास्टिक का उपयोग ना करना
प्लास्टिक का प्रयोग ना करें। आजकल रोज मार्रा की जिंदगी में प्लास्टिक का उपयोग एक आम बात हैं।
प्लास्टिक हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होतीं हैं। कोशिश करें की प्लास्टिक का उपयोग ना करें। माइक्रोवेव या ओवन मे खाना गर्म करना हो कांच का प्रयोग करें ।
****नदियों को साफ रखें
नदियों को साफ रखें नदियों को साफ रखना बहुत जरूरी हैं। आजकल अंधविश्वश ने क्रम काण्ड ने हमारी पवित्र नदियों को दूषित किया हुआ हैं।
प्रदूषण का एक कारण नदियों का दूषित होना भी हैं।
मैने बहुत लोगों को देखा हैं कपड़े बर्तन और अपने पशु को निलाहते हुए। नदियाँ प्रकृति की ही देन हैं इसको दूषित ना करें।
इन्ही कारणों की वजह से गंगा-यमुना जैसी नदियाँ भी दूषित हो रही हैं या कह लीजिये अपवित्र हो रही हैं।
अब इसको पढ़कर कुछ लोग बोलेंगे हम नहीं करते हम नहीं करते जी आप नहीं करते हो तो जो कर रहा हैं उसको मना तो कर सकते हो।
****इधर-उधर कूड़ा ना फेकें
साफ़ सफाई का ध्यान रखें। इधर उधर कूड़ा कचरा ना फेकें। खुद भी कूड़ा कचरा इधर उधर ना फेकें और दूसरों को भी फेकने ना दें। कूड़ा कचरा कूड़ेदान में ही डालें।
****ओड-इवन को देखकर अपने वाहनों का प्रयोग करें
सरकार द्वारा हर साल वाहनों में ओड-इवन को लागू किया जाता है, जिससे बड़ते प्रदूषण को रोक जा सकें। सरकार द्वारा चलाए गए ओड-इवन में आप भी सहयोग करें और प्रदूषण को कम करें।
आपको सबको पता होगा उत्तराखंड में पेड़ों को काटे जाने से रोकने के लिए "सुंदरलाल बहुगुणा" जी ने चिपको आंदोलन चलाया, और चिपको आंदोलन काफी सक्सेस भी रहा। काफी लोग इस आंदोलन से जुड़ गए थे।
आप भी कुछ ऐसा कर सकते हैं, जिससे अंधाधुन पेड़ों को कटने से रोका जा सकें, या कोई ऐसा प्रोग्राम जो साफ सफाई से संबंधित हों। लोगों को जागरूक कराएं पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें प्ररित करें ।