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Wednesday, 19 January 2022

Rishikesh

मेरा ऋषिकेश का सफ़र.…......

बहुत समय बाद घूमने का मौका मिला, या यू कह लीजिए लॉकडाउन के बाद अब 2021 में। लेकिन फिर भी कोरोना का डर अभी भी हैं। बहुत टाइम बाद हम घूमने जा रहे थे तो एक्साइटमेंट भी उतनी ही थीं। खासकर मेरे फादर इन लॉ को क्योंकि उनका बचपन ऋषिकेश में ही बीता हैं।

तो चलिए ऋषिकेश घूमते हैं.......

हमारा सफर 29 oct 2021 Subha 7 बजे दिल्ली से ऋषिकेश का सफर शुरू हुआ। 11 बजे हम अपने होम टाउन पहुंच गए।1 बजे हमने वहां से अपना सफर फिर जारी किया। लगभग 6 बजे हम ऋषिकेश पहुंच गए।
वहा हिल्स होपर्स होटल में स्टे किया। ऋषिकेश पहोचते ही मन और आत्मा को शांति और बहुत सकून मिला शायद हवा में कुछ ऐसी बात थी। खेर पूरे दिन के थके हुए थे और रात भी काफी हों गई थी तो होटल पहुंच कर डिनर करके रेस्ट किया।

अगले दिन वो सुबह का नज़ारा बहुत ही उत्तम और सुंदर था एक तरफ पहाड़ों के बीच में से उगता सूरज.....


सुबह होते ही आपको कंही पर भी चाय के ठेले मिल जाएंगे। ठंडी–ठंडी हवा और गरम गरम चाय आप जहां भी नज़र घुमाएंगे तो नदी किनारे आपको योग करते हुए लोग ,टहलते हुए ऋषिमुनि, विदेशी पर्यटक नजर आ जाएंगे।

हम होटल से पैदल ही घूमने निकल गए। क्योंकि मज़ा तो पैदल घूमने में ही हैं।
नदी, वादियां, पेड़–पौधे खूबसूरत मंदिर–मंदिर मे बजती घंटी


नदियों और झरनों की आवाज़ ऐसा लगता हैं जैसे वो हमसे कुछ कहना चाहती हों। सुना ही था पर देख भी लिया।   ऋषिकेश को योग की राजधानी कहा जाता हैं। गंगा जमुना सरस्वती का मिलन ऋषिकेश में ही होता है।
ऋषिकेश एक देवभूमि हैं जहां मैं ही नहीं हर कोई बार - बार जाना चाहेगा।
ऋषिकेश आध्यात्मिक योग और ध्यान की वैश्विक राजधानी है। यहाँ का अलौकिक वातावरण और माँ गंगा का विशाल स्वरूप मंत्र मुग्ध कर देता है।

हम अपने होटल से घूमते घामते लक्ष्मण झूला पहुंचे। ठंडी ठंडी हवा के साथ धूप की किरणें बहुत अच्छी लग रही थीं। वह  मछलियों के लिए आटे की गोलियां भी मिल रही थी। हमनें मछलियों को आटे की गोलियां भी खिलाई, बहुतअच्छा लगा। लक्ष्मण झूले के बाद राम झूला घूमने गए।


राम झूले के बाद हम परमार्थ निकेतन आश्रम गए । परमार्थ निकेतन आश्रम राम झूले से करीब 500 मीटर दाहिने तरफ  परता हैं । परमार्थ निकेतन आश्रम शांत और भीड़भाड़ से दूर  है।  परमार्थ निकेतन आश्रम रुकने के लिए बहुत ही अच्छा स्थान हैं।


ऋषिकेश में और भी बहुत से आश्रम हैं,पर इनमें से
बीटल्स आश्रम बहुत ही लोकप्रिय है। बीटल्स आश्रम, जिसे चौरासी कुटिया भी कहा जाता है। यह एक आश्रम है ,यह ऋषिकेश के मुनि की रेती जगह में पड़ता है। 1960 और 1970 के दशक के दौरान इंटरनेशनल एकेडमी ऑफ मेडिटेशन के रूप में यह महर्षि महेश योगी के छात्रों के लिए प्रशिक्षण केंद्र था। जिन्होंने ट्रांसेंडेंटल मेडिटेशन तकनीक विकसित की। आश्रम ने फरवरी और अप्रैल 1968 के बीच अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ध्यान आकर्षित किया जब अंग्रेजी रॉक बैंड द बीटल्स ने डोनोवन, मिया फैरो और माइक लव जैसी हस्तियों के साथ वहां ध्यान का अध्ययन किया।

यंहा उन्होंने अपने स्वयं के शीर्षक वाले डबल एल्बम के लिए अधिकांश गीतों की रचना की, जिसे "व्हाइट एल्बम" के रूप में भी जाना जाता है।

शाम को त्रिवेणी घाट की गंगा आरती सबसे प्रसिद्ध हैं। दूर दूर से पर्यटक गंगा आरती में शामिल होते हैं। ऋषिकेश में गंगा घाट का नाम त्रिवेणी घाट इसलिए पड़ा क्योंकि यहां पर तीन पवित्र नदियों गंगा, यमुना, सरस्वती का संगम होता है।

 
गंगा आरती से एक घंटा पहले  बहुत सुंदर कर्णप्रिय भजनों का कार्यक्रम होता है तत्पश्चात 10 -15 चौकी लगाकर पुजारी लोग भव्य तरीके से गंगा जी की आरती करते हैं बहुत ही मनोरम दृश्य होता है।


ऋषिकेश के कुछ प्रसिद्ध स्थान.........

८४ कुटिया, लक्ष्मण झूला, राम झूला, स्वर्गाश्रम, त्रिवेणी घाट की आरती, स्वर्गाश्रम, गीता भवन, परमार्थ निकेतन आश्रम,  नीम करौली हनुमान मन्दिर, माता विंध्यवासिनी मंदिर, राफ्टिंग शिवपुरी, नीर गड्ड वाटर फॉल, नीलकंठ महादेव मंदिर।

अगले दिन सुबह हम नीलकंठ महादेव मंदिर के लिए निकल गए। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश से 30 km. की दूरी पर है।  गढ़वाल, उत्तरांचल में हिमालय पर्वतों के तल में बसा ऋषिकेश में नीलकंठ महादेव मंदिर प्रमुख पर्यटन स्थल है। नीलकंठ महादेव मंदिर ऋषिकेश के सबसे पूज्य मंदिरों में से एक है। कहते हैं यही पर भगवान शिव ने इसी स्थान पर समुद्र मंथन से निकला विष ग्रहण किया गया था।


ऋषियों की धरती ऋषिकेश जो अपने तप अध्यात्म के लिए जानी जाती हैं।









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