एक आम 🥭🥭🥭
गर्मियों के साथ आम और आम की कुछ खट्टी मिट्ठी यादें न हो। ये तो गलत है।
आज थोड़ी सी आंधी किया चली सब खिड़की दरवाजे बंद हो जाते हैं।
एक हमारा समय था, आंधी – तूफान , बारिश के बाद जो कुछ मिलता ले लेते....आम बिनने के लिए।
आंधी–तूफान रात को आता, सुबह उस रास्ते से स्कूल जरूर जाना जहां आम के बाग होते।
आम बिनना या तोड़कर भाग जाना....वो पल भी बहुत अनंमय रहा है ।
आज आते जाते या किसी गांव से गुजरते जब आम के बाग और बाग में बच्चों को देखती हूं......अपना वो पल याद आ जाता हैं। एक आम के लिए किया कुछ नहीं करता बचपन छीना–झपटी,लड़ाई–झगड़ा मार–पीट पर कोई डर नहीं.....माली का भी डर नहीं , घर पर मम्मी की डांट का भी कोई डर नहीं। बस आम तोड़ने से मतलब रहता था। आम तोड़ना फिर उसको काट कर नमक मिर्च लगाकर खाने का अलग ही मज़ा था।
90's वाले बच्चों ने ये लुफ्त ज़रूर उठाया होगा।
Read More मेरा बचपन
अच्छा एक बात तो है, उस टाइम आम की किस्म का कुछ नहीं पता था। आज जब सोचती हूं तो हसीं आती हैं, की इतनी किस्म भी होती हैं,आम की, पहला आम कौन सा तोड़ा था। वो तो बचपन था, मैं तो अभी भी कंफ्यूज होती हूं।
आजकल के बच्चें किया जानें आम और आम के बाग।
वो उम्र ऐसी ही थी कोई डर नहीं होता था.....बस जो मन किया वो करना है....अब बस कुछ खट्टी मीठी आम की यादें। किस्से तो बहुत सारे हैं, आम के साथ अभी इतना ही काफी हैं।
अब न वो बचपन हैं न आम के बाग......बस यादें हैं।
"दिल वहीं लौटना चाहता है
जहां दुबारा जाना मुमकिन नहीं,
जैसे बचपन, मासूमियत,
पुराने दोस्त, पुराना घर"!!
आम का मौसम है, एंजॉय कीजिए अपनो के साथ।
अपना और अपनो का ध्यान रखें।
Take Care & Stay Safe
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