ज़िम्मेदारी........
वैसे तो जिम्मेदारियाँ मनुष्य के जन्म लेते ही उसके साथ जुड़ जाती हैं। एक व्यक्ति की जिम्मेदारी दूसरे की ताकत और सफलता बनती है, जिन पर चढ़कर व्यक्ति अपने परिवार समाज और देश की तरक्की करता हैं।
अगर बात की जाए की ज़िम्मेदारी किया हैं...तो......
कर्तव्यों का दूसरा नाम ज़िम्मेदारी हैं। किसी भी व्यक्ति के लिए जो कर्तव्य है उसी का नाम ही ज़िम्मेदारी हैं। सब किसी न किसी ज़िम्मेदारी से जुड़े हैं। जीवन में ज़िम्मेदारी का होना बहुत जरुरी हैं। इसी का नाम जिंदगी हैं।
आज मैं अपनी ही एक सेहली पूजा की बात करती हूं.......
पूजा दो भाई–बहन हैं। पूजा बड़ी हैं। घर में बड़ी, लेकिन बचपन से ही बहुत चुलबुली थीं। सबके साथ घुलमिल जाना सबको खुश रखना। पूजा बहुत मस्ती करती थी। स्कूल–क्लास में सब उससे बहुत खुश रहते थे। दिल की बहुत साफ़ सबकी हेल्प करना उसको बहुत अच्छा लगता था।
पूजा को किसी बात की कोई टेंशन नहीं रहतीं थीं । वैसे भी बचपन में किसी बात की कोई ज़िम्मेदारी टेंशन होती ही नहीं हैं। सब काम मम्मी–पापा या बड़े भाई–बहन किया करते हैं। पूरी तरह से मम्मी पापा पर निर्भर रहना। काम कब हो जाता हैं पता नहीं चलता।
स्कूल से कॉलेज में आए। थोड़ी ज़िम्मेदारी आई। पर उस टाइम भी वो ज़िम्मेदारी, ज़िम्मेदारी नहीं थी।
हां स्कूल का काम मम्मी पापा के बिना नहीं होता था और कॉलेज में आने के बाद अपना काम खुद ही करना होता था। यहां थोड़ी ज़िम्मेदारी आ गई थीं। वैसे तो मम्मी पापा के बिना तो कोई काम नहीं होता लेकिन कॉलेज में आने के बाद पूजा की कोशिश यही रहती थीं कि अपना काम खुद करें। क्योंकि उसके मम्मी–पापा दोनों जॉब करते थें।
कॉलेज खत्म हुआ। पूजा का रिश्ता हो गया। मुझे पूजा ने जब रिश्ते के बताया तब मैं सुनकर हैरान तो थी पर खुश भी थी आखिर पूजा का रिश्ता हो गया हैरान इसलिए थी कि पूजा मैं बचपना बहुत था। उसको किसी बात की समझ नहीं थीं । समय बीतता गया वो टाइम आ गया और चुलबुली मासूम पूजा की शादी हों गई अब यहां आकर पूजा पर थोड़ी ज़िम्मेदारी आ गई थीं।
सुबह उठना, सबके लिए नाश्ता, नाश्ते के बाद, दुपहर के खाने की तैयारी, फिर शाम के चाय का सोचना, चाय के साथ किया बनेगा। रात होते ही खाने की तैयारी। सबकी पसंद ना पसंद सबका ध्यान रखना ।
मैं पूजा के लिए थोड़ी चिंतित इसलिए थी क्योंकि......उसके साथ ये सब पहले नहीं था मतलब शादी से पहले क्योंकि किसी बात की ज़िम्मेदारी नहीं थी। कब नाश्ता खाना बन जाता था पता ही नहीं चलता था। उसमें तो भाजी तरकारी खरीदने की भी समझ नहीं थीं।
पूजा के ससुराल में....दादा ससुर, सास, ससुर, ननंद।
पति घर से बाहर रहते थे। दिल्ली में जॉब थीं। पूजा बड़ी थीं तो ज़िम्मेदारी भी बड़ी थी। खेर समय बीतता गया। थोड़े उतार चढ़ाव आए पर उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखती थी। उतार चढ़ाव तो सबकी लाइफ में आते ही हैं।
अच्छे से उसने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई और निभाते आ रही हैं। उसकी शादी को आज नौ साल हों गए हैं।
हम सब उसको देखकर दंग रहे जाते हैं की ये वहीं पूजा हैं जिसको किसी बात की कोई टेंशन नहीं रहती थीं कोई ज़िम्मेदारी कुछ नहीं हम सब उसको चिड़ाते रहते थे कैसे करेंगी ये लड़की और आज पूजा अच्छे से अपने घर परिवार की ज़िम्मेदारी निभा रहीं हैं। श्री राधे रानी जी की कृपा से उनके आशीर्वाद से सब अच्छे से चल रहा हैं।
पूजा की शादी के कुछ साल बाद उसके दादा ससुर जी का देहांत हो गया। उनके बाद उसकी सास का भी देहांत हो गया। ज़िम्मेदारी अब आकर बढ़ गई थीं । क्योंकि अब घर में वहीं ही बड़ी रह गई थीं। ससुर जी थे पर वो काफी बुजुर्ग थे। घर एक महिला से चलता हैं घर मे पूजा ही अब बड़ी रह गई थी।
पूजा की सास के देहांत के बाद एक ज़िम्मेदारी थी ननंद की शादी.......और ये ज़िम्मेदारी कोई आम ज़िम्मेदारी नहीं थीं।
पूजा और उसके पति आशीष दोनों बहुत परेशान भी रहते थें। पूजा इसलिए ज्यादा परेशान रहती थी,क्योंकि कुछ कमी हो गई , या परिवार अच्छा नहीं मिला या ननंद खुश नहीं हैं तो सब पूजा को ही दोष देंगे।
खैर........2019 में ननंद का रिश्ता हों गया। देखा–दिखाई, शॉपिंग । शादी की पूरी ज़िम्मेदारी पूजा और उसके पति आशीष के ऊपर थी। पूरी ज़िम्मेदारी के साथ ननंद की शादी मेरठ के एक अच्छे और सम्पन परिवार में हुई हैं। आज 2 साल हो गए हैं भगवान जी के आशीर्वाद से सब ठीक चल रहा हैं।
पूजा अपने मायके में भी बड़ी थीं भाई छोटा है उसका वैसे छोटे तो छोटे ही होते हैं। 2020 में उसके पापा का देहांत हो गया अब उसकी ज़िम्मेदारी और बढ़ गई घर और ससुराल दोनों का देखना। अब उसकी एक ज़िम्मेदारी अपने भाई की शादी की हैं।
जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होती हैं। निरंतर बढ़ती रहती हैं। इसी का नाम जिंदगी हैं।
मैं भी अपनी पूरी ज़िम्मेदारी के साथ जल्दी ही मिलती हूं अगले ब्लॉग में।
