Monday, 27 September 2021

नारी शिक्षा का महत्व

  नारी शिक्षा का महत्व


आज की नारी घर की चार दिवारी में रहना पसंद नही करती। बाहर निकालकर कुछ करना चाहती हैं। अपनी पहचान बनाना चाहती हैं । और सही ही हैं आज नारी ने अपनी मेहनत और लगन से सबको पीछे छोड़ दिया हैं।
चुनोतियों का हँसकर सामना करने वाली आज की ये नारी पुरुषों से आगे हैं। समय बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही हैं। पहले जैसे सोच अब नहीं हैं की लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था, उनको बोज समझा जाता था, उनको बस घर में और घर के कामों तक ही सीमित रखा जाता था। अब बात वो नही हैं लोगों की सोच के साथ लोग भी बदल रहें हैं।
अब लड़की पैदा होनें पर लड़की को बोझ नहीं लक्ष्मी बोला जाता हैं। अब लड़की के पैदा होने पर भी हर घर में थालियाँ बजती हैं, मिठाईयाँ बाटी जाती हैं। अब लड़की की शादी और चूल्हा चौक नहीं उसकी पढ़ाई के बारे में सोचा जाता हैं।

एक लड़की के लिए शादी नहीं उसका शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं।
आज भी कई  क्षेत्र  में महिलायों को शिक्षा से वंचित रखा जाता हैं,  अशिक्षित महिलाएं सिर्फ एक जिंदा लाश की तरह होती हैं। जिन्हें बस बच्चा पैदा करने की मशीन समझा जाता हैं और चूल्हा चौका तक ही रखा जाता हैं।
जबकि आज की नारी चाँद पर पहुँच चुकी हैं । पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलकर काम कर रही हैं।  इसमें सबसे बड़ा रोल एजुकेशन का हैं। 

नारी के लिए शिक्षा का बहुत महत्व हैं। आइए उसपर चर्चा करते हैं।
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नारी के लिए शिक्षा का महत्व
नारी को आत्मनिर्भर बनने के लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं। जैसे वोट देना सबका मूल अधिकार हैं वैसे ही हर नारी का शिक्षित होना नारी का मूल अधिकार हैं।
देश के अच्छे विकास के लिए नारी का ही नहीं सभी का शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं।
देश की प्रगति, उन्नति, विकास और प्रगतिशील के लिए नारी का शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक हैं।
शिक्षित होने से बच्चों का ठीक से पालन पोषण कर सकती हैं। परिवार को चलाने में अपने पति का हाथ बटा सकती हैं।

 


रूरल एरिया में अभी भी शिक्षा का अभाव हैं। वहाँ महिलाएं तो अशिक्षित हैं ही पुरुष भी ना के बराबर शिक्षित मिलेंगे। इसलिए आज तक रूरल एरिया का विकास नहीं हो पाया। आप खुद देख सकते हैं रूरल एरिया में मृत्यु दर भड़ता जा रहा है क्योंकि आए दिन कोई ना कोई बच्चा कुपोषण का शिकार हों जाता हैं।
परिवार को ठीक तरह से चलाना, बच्चों का अच्छे से पालन पोषण करना एक शिक्षित महिला या एक शिक्षित माता कर सकती हैं। वैसे तो परिवार तथा बच्चों के पालन पोषण के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का शिक्षित होना जरूरी हैं। पर हम यहाँ स्त्री शिक्षा की बात कर रहें हैं। आज के समय में हर नारी के लिए शिक्षा का बहुत महत्व हैं।

महिलायों के लिए शिक्षा के लाभ

शिक्षा हर किसी के जीवन का एक अभिन्न अंग हैं।
पर यहाँ हम बात महिलायों की शिक्षा का कर रहें हैं।
हर महिला का शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं।
शिक्षित महिलाएँ हर  क्षेत्र  में अपना योगदान दे सकतीं हैं।
शिक्षित महिला कमा सकती है और अपने परिवार की आय में योगदान कर सकती है। बाल और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद करती हैं। शिक्षित महिलाएं अपने बच्चों की देखभाल बेहतर ढंग से कर करती हैं तथा बाल और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद करती हैं। शिक्षित महिलाएं घरेलू हिंसा से स्वयं को बचा सकतीं हैं।


पर अभी भी महिलायों की शिक्षा में बहुत सी रुकावटें आती हैं आइये उनपर पर चर्चा करते हैं.....
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महिलायों की शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारक.......

****  लिंग भेद भाव
**** आर्थिक स्थिति
**** पितृसत्तात्मक समाज
**** सामाजिक सोच
**** सुरक्षा का अभाव
****स्वास्थ्य और स्वच्छता

सरकार द्वारा महिलायों की शिक्षा के लिए कुछ प्रोग्राम चलाए गए हैं.... जो इस प्रकार हैं।

सर्व शिक्षा अभियान

इंदिरा महिला योजना

बालिका समृद्धि योजना

राष्ट्रीय महिला कोष

महिला समृद्धि योजना

रोजगार और आय सृजन प्रशिक्षण-सह-उत्पादन केंद्र

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के विकास का कार्यक्रम

"आज की नारी सब पर भारी"
ये बात आज की नारी ने सिद्ध कर दी हैं। अगर महिलायों को थोड़ा सहयोग किया जाए तो वो

पत्थर को भी सोना बना सकती हैं।
समाज और देश की प्रगतिशील के लिए महिलायों का हर क्षेत्र में सहयोग करें। महिलायों के विकास की और एक कदम बढ़ाए। उनको अपना थोड़ा सहयोग दें। बाकी रास्तें तो वो खुद बना लेंगी।

"अगर आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप एक पुरुष को ही शिक्षित करते हैं, लेकिन  अगर आप एक स्त्री को शिक्षित करते हैं तो आप एक पूरी पीढ़ी को शिक्षित करते हैं। "

Tuesday, 14 September 2021

Hindi Medium

                     Hindi Medium

"हिंदी हैं देश की धरोहर, हिंदी हैं हमारी राष्ट भाषा। "

आज सबसे अहम टॉपिक भाषा। भाषा से कैसे एक व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता हैं।
पहले बात करते हैं की भाषा क्या है।

 
भाषा......

 बात को साधारण शब्दों में किसी दूसरे तक पहोचाना ही भाषा हैं।
हमारी भाषा बहुत मायने रखती हैं हमारे लाइफ में।
भाषा कोई सी भी हो भाषा स्वच्छ और साधारण होनी चाहिए।
आप अपनी लाइफ स्टाइल मे जो भी भाषा बोलते हैं, इंग्लिश - हिंदी वो साधारण, स्वच्छ होनी चाहिए।
क्योंकि अपनी बोलचाल से अपनी भाषा से हम किसी को भी अपना बना सकते हैं। इसलिए हमारी भाषा में प्यार और अपनापन होना चाहिए।

ये तो भाषा से संबंधित कुछ बातें की हैं , की भाषा क्या है। अब जिसके बारे में चर्चा करनी है उसके बारे में बात करते हैं, यानी अपनी मातृ भाषा हिंदी

मारी मातृ भाषा हिंदी

ये तो सभी जानते हैं, की हिंदी हमारी मातृ भाषा हमारी राष्ट भाषा हैं।
हिंदी ही एक ऐसी भाषा हैं जिसमें प्यार अपनापन होता हैं।  शब्दों में एक शेहद वाली मिठास होतीं हैं।
लेकिन आजकल यही हिंदी जो हमारी मातृ भाषा है
उसको बोलना कोई पसंद नहीं करता है।
मुझे लगता है की अब हमारी मातृ भाषा हिंदी नही इंग्लिश हो गई है।  क्योंकी अब हर जगह इंग्लिश को ही महत्व दिया जाता है। अब स्कूलों में भी हिंदी को कोई प्राथमिकता नही देता है।
  हिंदी हर स्कूल में हर क्लास के लिए होनी चाहिए। हिंदी एक मेन कोर्स में होनी चाहिए। 

"आने वाले पीढी को हिंदी का ज्ञान देने के लिए आज से ही देनी होगी हिंदी की शिक्षा।"


हमारे देश में राष्ट्र भाषा हिंदी का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
सरकार के साथ साथ आम जनता को भी हिंदी भाषा के उत्थान के लिए प्रयास करने चाहिए।
हिंदी भाषा के उत्थान के लिए बच्चों को किसी ना किसी मध्यम से हिंदी भाषा के बारे में बताना चाहिए। ताकि हिंदी भाषा को बढ़ावा मिल सके।

मातृ भाषा हिंदी का महत्व

हमारे देश में हमारी हिंदी भाषा का बहुत महत्व हैं। लेकिन धीरे-धीरे देश में हिन्दी भाषा का प्रचलन खत्म हो रहा हैं और हमारी राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत पसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं। एक हिन्दुस्तानी को कम से कम अपनी भाषा यानी हिन्दी तो आनी ही चाहिए, साथ ही हमें हिन्दी का सम्मान भी करना सीखना होगा। इसलिए हर साल पूरे देश में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता हैं।


हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता हैं

आज दुनिया भर में इंग्लिश बोलने का चलन बढ़ता जा रहा है। सभी लोग इंग्लिश भाषा की और बढ़ रहे।
लेकिन हिंदी का अस्तित्व आज भी कायम हैं। और हिंदी का अस्तित्व आगे भी कायम रहेगा आने वाली पीढ़ी को हिंदी का महत्व समझना होगा।
हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान की पहचान है, जिसे देश में सबसे ज्यादा बोला जाता है। और बोलना भी चाहिए अपने रोज के कामो में हिंदी भाषा को ही बोलना चाहिए। हमारे देश में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा हासिल है, राष्ट्रभाषा के प्रचार और प्रसार के लिए ही हर साल पूरे देश में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंग्रेजी के बाजार में पिछड़ती अपनी मातृ भाषा हिंदी

अंग्रेजी के इस बाजार में हिंदी पिछड़ती जा रही हैं। आज हिंदी बोलने वाला अनपढ़ - गंवार समझा जाता हैं।
यही नही आज कल माता-पिता अपने बच्चों को इंग्लिश बोलने के लिए प्ररित करते हैं। और बच्चा इंग्लिश में बात करता है तो गर्व महसूस करते हैं। पैदा होते ही बच्चा अंग्रेजी भाषा का गुलाम बन जाता हैं।
आज हिंदी भाषा को कोई भी सम्मान नही देना चाहता हैं। 
आज दो-चार लोगों के बीच में खड़ा एक व्यक्ति हिंदी  भाषा को बोलता हैं तो उसको गंवार समझा जाता हैं।
इसीलिए आज लोग हिंदी बोलने से घबराते हैं। पहले भारत देश अंग्रेजों का गुलाम था अब अंग्रेजी भाषा का गुलाम बना बैठा हैं।
आज हिंदी भाषा को कोई भी सम्मान नही देना चाहता हैं। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा हैं हिंदी भाषा को मान- सम्मान दें।

सभी देशवासियों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

Saturday, 14 August 2021

हमारा देश हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता

      हमारा देश हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता


भारतीय संस्कृति विश्व की सबसे प्राचीन संस्कृति है, जो लगभग 5,000 हजार वर्ष से भी पुरानी है। विश्व की पहली और महान संस्कृति के रुप में भारतीय संस्कृति को माना जाता है।

एकता का भाव हम यही भारत देश में देख सकते हैं

अतिथि देवो भवः 🙏🙏
अतिथियों को हमारे देश में भगवान का रूप माना जाता हैं।

हमारी सभ्यता और संस्कृति का संबंध हमारे पहनावे हमारी बोल-चाल से होता हैं। हमारी संस्कृति हमारी पहचान हैं। पूरे विश्व में भारतीय संस्कृति प्रसिद्ध हैं।

हमारा भारत देश बहु- संस्कृतियों का देश हैं। सभी संस्कृतियों के अलग अलग मायने हैं। और सभी अपनी अपनी संस्कृतियों का अच्छे से पालन करते हैं।
पुराणों काल से ही गौ माता को पूजा जाता हैं। कहा जाता है की गौ माता में तेतीस करोड़ देवी देवता विद्यमान हैं। इसलिए गौ हत्या सबसे बड़ा पाप माना जाता हैं।

गंगा नदी ये सिर्फ नदी नहीं हैं । इनको गंगा मैया कहते हैं। गंगा को पुराणो काल से पूजा जाता हैं। सभी साधु संत अपने दिन की शुरुआत गंगा में स्नान करके करते हैं। हरिद्वार की गंगा आरती का भी अपना एक अद्भुत नजारा होता हैं। दूर दूर से लोग गंगा आरती में शामिल होते हैं । और गंगा मैया का आशीर्वाद लेते हैं। 


भारत देश में अनेक तरह के पहनावे है। अलग अलग तरह की बोल चाल हैं। कई जातीय और कई धर्मो के लोग रहते हैं।

हिंदू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सभी की संस्कृति-सभ्यता
बोल-चाल, पहनावे का ठंग सब अलग हैं।
सभी के त्योहार अलग अलग हैं। सभी त्योहारों पर सबका अपना अलग-अलग तरीका हैं खुशियाँ बाटनें का मुबारकबाद देने का।

हिंदु का त्योहार होली रंगों का त्योहार हैं सभी लोग अलग अलग तरह से मानते हैं। होली पर होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं या हैप्पी होली गले मिलकर गुलाल लगाकर शुभकामनाएं देते हैं और छोटे बच्चें, घर के बेटे-बहू अपने बड़े-बुजुर्गो के पैर झुकर त्योहारों पर सभी का आशीर्वाद लेते हैं। घर के सभी लोग मिल जुलकर त्योहार मानते हैं।


दिवाली का त्योहार दिवाली के दिन सभी के घर में पूजा होती हैं हनुमान जी और लक्ष्मी जी की।

सभी अपने-अपने रीति रिवाज, संस्कृति के हिसाब से
पूजा-पाठ करते हैं। एक दूसरे के घर आना-जाना, सभी को स्वीट्स देकर दिवाली की शुभकामनाएं देना और बड़ों का आशीर्वाद लेना ये हमारी संस्कृति हैं। 


हिंदूयों में एक त्योहार आता हैं करवा चौथ। सुहागन स्त्री करती हैं। पूरे दिन व्रत करके अपने सुहाग अपने पति के जीवन की मंगल कामना करती हैं। पंजाबियों में करवा चौथ बहुत अच्छे से मानते हैं।

बंगाल में दुर्गा पूजा का भी बहुत महत्यम हैं
जैसे नवरात्रि होती हैं, नौ दिन नौ देवियो की पूजा होतीं हैं। कन्याओं को पूजा जाता हैं। बंगाल में दुर्गा पूजा बहुत अच्छे से मनाते हैं।


जन्माष्टमी कृष्ण जी का जन्मोत्सव सभी लोग बहुत उल्हास के साथ मानते हैं। कृष्ण जन्मोत्सव सभी जाति धर्म के लोग मिलजुल कर मनाते हैं।  छोटे छोटे बच्चों को कृष्ण - राधा के रूप में सजाया जाता हैं।


वही कुछ ऐसे पर्व हैं जैसे गुरु पूर्णिमा, बुध पूर्णिमा, महावीर जयंती, गुरु नानक जयन्ती आदि पर्वो को सभी धर्मो के लोग एक साथ मिलजुल कर मनाते हैं।

पंजाबियों में लोडि - गुडिपार्वा को बहुत अच्छे से बड़े हर्षो उल्हास के साथ मानते हैं।

ईद 🌙 ईद का त्योहार के भी अपने अलग मायने हैं।
सब मुस्लिम्स बहुत अच्छे से बड़े उल्हास के साथ ईद मानते हैं। एक महीने के रोजे के बाद चाँद का दीदार होता है। सब लोग गले मिलकर ईद मुबारक कहते हैं।
सभी के घर में मिठी सिवाईया बनती हैं। एक दूसरे के घर जाकर मिठी सिवाइयो के साथ ईद मनाई जाती हैं।


क्रिसमस 🎄🎄🎄मेरी क्रिसमस
ईसाइयों का त्योहार सभी लोग बहुत अच्छे से उल्हास के साथ मानते हैं। भारत से लेकर सभी देश में क्रिसमस को सब बहुत अच्छे से मेरी क्रिसमस बोल कर सेलिब्रेट करते हैं।


जितनी ही धूम धाम से ईद बैसाखी होली दिवाली इन त्योहारों को मानते हैं।
उतनी ही धूम धाम से गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस मानते।।
हमारे लिए ये भी किसी त्योहार से कम नहीं हैं। अगर आपको एक साथ सभी देश के वेश भूषा, बोल-चाल,
संस्कृति देखनी है तो गणतंत्र दिवस और स्वतंत्रता दिवस पर देख सकते हैं।

वही कुछ ऐसे पर्व हैं जैसे गुरु पूर्णिमा, बुध पूर्णिमा, महावीर जयंती, गुरु नानक जयन्ती आदि पर्वो को सभी धर्मो के लोग एक साथ मिलजुल कर मनाते हैं।

जैसे भारत देश में अनेक जाती धर्म और उनके त्योहार हैं। वही विभिन्न संस्कृतियों के अपने लोक नृत्य और शास्त्रीय संगीत हैं।
भरत नाट्यम, कथक, कथक कली, कुच्ची पुड़ी । सभी अपने क्षेत्रों के लोक नृत्यों के अनुसार बहुत प्रसिद्ध है। पंजाब का भाँगड़ा, गुजराती गरबा, राजस्थानी घुमड़, आसाम का बिहू, महाराष्ट्रा के लोग लाँवणी का आनन्द लेते हैं।


सभी लोग सब त्योहार अपने-अपने संस्कृति-सभ्यता के अनुसार मानते हैं। ऐसा बिल्कुल भी नही हैं कि सभी अपने-अपने त्योहार मानते  हैं। ये हमारा भारत देश में यहाँ की संस्कृति सभ्यता की बात ही कुछ और हैं। सभी त्योहार सब मिल जुलकर अच्छे से मानते हैं। आप खुद ही देख सकते हैं हमारा देश हमारी संस्कृति हमारी सभ्यता को देखने देश-विदेश से लोग आते हैं और बहुत आनंद लेते हैं।

लेकिन आज बड़े दुःख की बात हैं या कह लीजिये बड़े शर्म की बात है की हम लोग विदेशियों की संस्कृति को अपना रहे हैं । आजकल की जेनरेशन आज कल के बच्चे सब विदेश की तरफ भाग रहे हैं उनका खान पान , उनका पहनावा, उनकी बोल चाल उनकी सोच सब कुछ और बहुत गर्व के साथ में ये कहती हूँ वही विदेशी हमारी संस्कृति को अपना रहें हैं। 
कहने का मतलब है कि देशी विदेशी हो रहा है और विदेशी देशी।
अपने बच्चों को अपनी संस्कृति, अपनी सभ्यता के बारें में बताएं। उनको अपने त्योहारों के मायने बतायें। अभी समय हैं और समय रहते आप अपने बच्चों को नई रह नई सीख दे सकते हैं। कहीं ऐसा न हो की बच्चे विदेशी हो जाए और हमारे देश में बस ओल्ड एज होम ही रहे जाए।

मिलती हूँ जल्दी ही अगले ब्लॉग में अपना और अपनो का ध्यान रखें।
Take Care &Stay Safe

Wednesday, 7 July 2021

Toxic Relationship

 

Toxic Relationship


अगर आपने marriage issue वाली पोस्ट पढ़ी हैं तो मैंने उसमे टॉक्सिक रिलेशनशिप  के बारे में जिकर किया हैं। कुछ लोगों ने मेरे से पूछा की टॉक्सिक रिलेशनशिप क्या हैं। तो सोचा चलो आज इसी पर बात की जाए।
आखिर टॉक्सिक रिलेशनशिप क्या हैं।
क्या आप जानते हैं?
आज इसी टॉपिक पर बात करते हैं।
टॉक्सिक रिलेशनशिप ....वो रिलेशनशिप हैं जिससे आजकल के लड़के-लड़कियाँ या आपकी मैरेज लाइफ सफर कर रही हैं।
नहीं समझे ना... कोई नहीं।
वो रिलेशनशिप जिसमें पर्टनर एक दूसरे के साथ तो रहते हैं पर उस साथ का कोई मायने नहीं होता।
आप रहे तो रहे हैं, पर उस रिलेशनशिप का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि अब उस रिलेशनशिप में वो प्यार-अपनापन नहीं है जिस प्यार के लिए आप खुद से अपने दोस्तों से अपने परिवार से लड़ चुके हों।
 टॉक्सिक रिलेशनशिप की सबसे बड़ी कमी यही है कि आपका पार्टनर आपके मान-सम्मान की कोई फिक्र नहीं करता। आपका प्लान, आपका वक्त उनके लिए कुछ मायने नहीं रखता। यही नहीं, ऐसे लोग दूसरों के सामने भी अपने पार्टनर के साथ अच्छा व्यवहार नहीं करते। हाँ, एक बात और ऐसा नहीं हैं की टॉक्सिक रिलेशनशिप केवल उन लड़के-लड़कियों में देखा जाता हैं जो साथ में रहते हैं, रिलेशनशिप में हैं नहीं ये marriage issue का ही एक कारण हैं। जो में पहले भी बता चुकि हूँ।
क्या आप टॉक्सिक रिलेशनशिप में हैं :
बहुत सी बातें होतीं हैं, जिनसे ये जान सकते हैं की क्या हम टॉक्सिक रिलेशनशिप में हैं या नहीं

1).....रिलेशनशिप का ठीक से ना चल पाना आर्थिक स्थिति हैं। सभी को अपने पार्टनर से बहुत सारी उमीदें होतीं हैं। पार्टनर का स्टेट्स अच्छा हों आदि, मैरेज, दोस्ती या रिलेशनशिप, सब फाइनेंशियल  स्टेट्स पर निर्भर करता हैं। यही marriage issues का भी एक कारण हैं। फाइनेंशियल  स्टेट्स को लेकर मैंन बहुत से रिलेशनशिप टूटते देखें हैं।

2).....जब आपके पार्टनर से आपको मान सम्मान नहीं मिलता। आपका पार्टनर आपको टाइम नहीं देता। बात बात पर आपकी इंसल्ट कर रहा हैं। आपके दोस्तों के साथ भी उसका व्यवहार अच्छा नहीं रहता। टॉक्सिक रिलेशनशिप में पार्टनर एक-दूसरे को गिल्टी फील कराने का कोई मौका नहीं छोड़तें।  बात बात पर आपकी उपेक्षा करना सब के सामने आपकी मजाक उड़ना ऐसी बातें रिलेशनशिप में बुरा असर डालती हैं।

3).....ऐसे रिलेशनशिप में पार्टनर कुछ भी आपस की बातें शेयर करना बंद कर देते हैं और एक-दुसरे को इग्नोर करना शुरू कर देते है। जो अच्छे रिलेशनशिप के लिए अच्छी बात नहीं ऐसी बातें रिलेशनशिप पर बुरा असर डालती हैं।

4)......पर्सोनालिटी को लेकर भी बहुत से रिलेशनशिप टूटते हैं। जैसे आपका पार्टनर बहुत अच्छा, गुड-लूकिंग हैं, लेकिन आपके किसी दोस्त के पार्टनर से अच्छा और गुड-लूकिंग नहीं हैं। ये भी रिलेशनशिप टूटने का एक कारण हैं।

5)......देखा जाता हैं, की पार्टनर एक दूसरे पर बात-बात पर रोक टोक करते हैं। यही कारण हैं रिलेशनशिप में लडाई झगड़े का, वो लोग एक दूसरे पर अपना अधिकार रखना चाहते हैं, ऐसे रिलेशनशिप में पर्टनर एक दूसरे को किसी भी तरह की आजादी नहीं देना चाहते हैं जो गलत हैं।

6).....हर कोई अपने रिलेशनशिप को स्ट्रांग बनाना चाहता है। जिस रिलेशनशिप में लव, ट्रस्ट एंड फेथ हो। अगर आपके  पार्टनर और आपके बीच में लव, ट्रस्ट एंड फेथ जैसा कोई भी रिलेशन ना हो तो समझ जाए आप टॉक्सिक रिलेशनशिप में है।

7).....पार्टनर के साथ ख़ुशी न मिलना भी एक बड़ा लक्षण है। हम रिश्ते क्यों बनाते हैं? ताकि एक-दूसरे के सुख-दुःख में साथ दे सके, एक-दूसरे के साथ सेफ फील कर सकें। पर जब ऐसा कुछ न रह जाए, तो रिश्ते के टूटने की शुरूआत हो जाती हैं। 

8).....टॉक्सिक रिलेशनशिप में दोनों पर्टनर के बीच शक का बीज इतना ज्यादा हो जाता हैं की पार्टनर् एक दूसरे के फोन, मेसेज, कॉल्स चेक करने लगते हैं, और अगर कोई व्यक्ति आपके पर्टनर के बारे में कुछ बोलता हैं तो आप उस व्यक्ति पर भरोसा करते हैं जो आपके लिए अंजान हैं। रिलेशनशिप में शक होना गलत हैं । शक रिलेशनशिप को कमजोर बनता हैं।


       टॉक्सिक रिलेशनशिप में दोनो पर्टनर एक-दूसरे के लिए अजनवी हो जाते है, प्यार अपनापन नहीं होता आपका पर्टनर आपको टाइम नहीं दे रहा हैं
आपकी फीलिंग्स आपकी रिस्पेक्ट उससे उसको कोई मतलब नहीं होता। तो क्यों और किस लिए आप ऐसे रिलेशनशिप में हैं। घुट-घुट कर जीना कोई जीना नहीं होता। छोड़ दीजिये ऐसी रिलेशनशिप जिस रिलेशनशिप का कोई फ्यूचर ना हो ।

कुछ सुझाव देना चाहती हूँ :

.....कोशिश करें, अगर कोशिश करने से आपकी रिलेशनशिप टूटने से बच सकती हैं तो कोशिश करें। 

......अच्छे रिलेशनशिप में शक जैसा कोई शब्द नहीं होना चाहिए। 

......एक दूसरे को थोड़ा टाइम दें। टाइम देने से प्यार मजबूत होता हैं। 

......कोई भी रिलेशनशिप प्यार, ट्रस्ट और फेथ से मजबूत होता हैं ना की मेहेंगे मेहेंगे गिफ्ट से। तो अपने रिलेशनशिप को फाइनेंशियल स्टेट्स से ना जोड़े। 

......रिलेशनशिप को एक-दूसरे का अधिकार ना समझें। 

......एक-दूसरे को हर तरह से खुश रखे। 

......एक दूसरे की प्रॉब्लम में एक दूसरे का साथ दें। 

......रिलेशनशिप में किसी भी तरह की गलत फ़ेमि ना आने दें। रिलेशनशिप को स्ट्रांग बनाए। बैठ कर बातों को सॉल्व करें। लड़ाई झगड़े से बात बिगड़ती हैं,संभलती नहीं हैं। 

......अपने और अपने पर्टनर को समझें, अपनी रिलेशनशिप पर ध्यान दें। 

मिलती हूँ जल्दी नेक्स्ट ब्लॉग में तब तक के लिए
अपना और अपनो का ध्यान रखे....

(Take Care & Stay Safe)







Friday, 2 July 2021

Marriage Issue💔

Marriage Issue💔

आपके हिसाब से marriage issue के किया कारण है। लड़का-लड़की या इनके घर वाले। आज इसी पर चर्चा करेंगे।
सबकी मैरिज लाइफ मे कुछ ना कुछ प्रॉब्लम आती हीं हैं। कभी काम को लेकर, कभी फैमिली मेंबर्स को लेकर या कभी आर्थिक तंगी के कारण, आपस में किसी के विचार ना मिलना, छोटी छोटी बातो में नोक-झोंक होना, दहेज प्रथा आदि बहुत से कारण है जिससे मैरिज लाइफ में प्रोबलम आती है।

आपका क्या मानना है?

.........मैं अपने भाई के लिए लड़की देख रही हूँ, वहा ज़दातार तलाकशुदा लड़के-लड़कियों के बायो-डाटा हैं। 

 मैंने बहुत सोचा की किसकी गलती से नौबत तलाक तक आ जाती हैं।


क्या सात फेरो का बंधन मात्र एक काग़ज़ के टुकड़े पर  साइन करने से खत्म हो जाता हैं?

नहीं, कभी नहीं। अगर आप लोगों के हिसाब से हाँ खत्म हो जाता हैं, तो में उन तलाकशुदा लड़के लड़कियों से पूछती हूँ की जब आप अपनी एक शादी ठीक तरह से नहीं निभा पाएँ, तो दूसरी कैसे निभा पाओंगे।

लड़की वाले बोलते हैं, लड़के और उसके घर वालों की गलती हैं, लड़के वाले बोलते हैं, लड़की और उसके घर वालों की गलती हैं। आखिर गलती किसकी और कहा है।
एक हाथ से ताली कभी नहीं बजती गलती दोनों तरफ से होतीं हैं।
दूसरी बात अपनी शादीशुदा लाइफ को टाइम दें । प्रॉब्लम हर जगह आती हैं। समाज में रह रहे हों वहा प्रॉब्लम आयगी तो क्या समाज में रहना बंद कर दोगें, जहा काम करते तो वहा प्रॉब्लम आयगी तो क्या काम करना बंद कर दोगें।
प्रॉब्लम से लड़ना सिखों, भागना नहीं।
अपनी शादीशुदा लाइफ को टाइम दो प्रॉब्लम आने पर खत्म मत करो।
अब टाइम बहुत चेंज हों गया हैं, पहले जैसा नहीं रहा
की बहू को मार-पिट रहे हैं आदि। पहले टाइम में ये सब होता था, लड़की को मार रहे हैं, पिट रहे हैं
लड़की पर अत्याचार हो रहे हैं। तब ससुराल वालों की गलती हुआ करती थी। उस टाइम लड़की को परिवार चाहिए होता था, वो जो उसको प्यार करे और ससुराल वालों को एक बिना पैसों की नौकरानी चाहिए होतीं थी।
पर अब ऐसा नहीं हैं, समय बदल रहा लोग बदल रहे हैं। लोगों की सोच बदल रही हैं,लड़कें और लड़कियों में कोई भेद भाव नहीं है, सब एक समान हैं। फिर भी आज के समय में भी तलाक जैसा शब्द सुनकर मन को बहुत दुख होता है। और इन सबका असर  बच्चों पर पड़ता हैं। आप लोगों के छोटे मोटे झगड़ों से बच्चो की ग्रोथ रुक जाती हैं। अपने लिए नहीं अपने बच्चों के लिए सोचें।


कुछ कारणों की वजह से ऐसा देखने को मिलता है :

1) कुछ लड़कियाँ परिवार के साथ रहना पसंद नहीं करती।
2) गलत आचार-व्यवहार
3) सेक्स प्रॉब्लम
4) टॉक्सिक रिलेशनशिप

• Must Read : toxic-relationship

5) पर्सोनालिटी प्रॉब्लम
6) Ego and Attitiute
7) दहेज प्रथा
8) आर्थिक स्थिति
9)आजकल लड़कियों को घर के कामों का शौक नहीं होता।
10) लड़कें-लड़कियों का शादी के बाद भी किसी दूसरे के साथ संबंध होना।
11) बात बात पर लड़ाई-झगड़ा होना नोक-झोंक होना।
बहुत से कई कारणों से हम शादी जैसे पवित्र बंधन को टूटता देखते हैं।
कहीं कहीं में देखती हूँ की परिवार की छोटी छोटी बातें घर के बाहर जाती हैं, सास बहू के बारे में , बहू सास के बारे में ये गलत हैं।
अगर आपको किसी की कोई बात बुरी लगती हैं, तो साथ में बैठ कर बातों को सुलझाये ।  समाज और रिश्तेंदारों को बताकर अपनी और परिवार की खिल्ली ना उड़ाए।
वो काम ना करें जो एक दूसरे को पसंद ना हो
इन बातों पर थोड़ा गोर करे, और अपनी मैरेज लाइफ में थोड़ा चेंज लाएं। लाइफ कितनी अच्छी लगने लागेंगी, आपको खुद अनुभव होगा। तलाक जैसा शब्द समाज से तो क्या दुनिया से खत्म हो जाएगा।


  कुछ सुझाव देना चाहती हूँ :

1) अपनों से बड़ों का आदर करें और अपने छोटो को प्यार दें।
2) शादी को समझौता ना समझें
3) बातों को आपस में बैठ कर सुलझाये
4) थोड़ा सहनशील बने
5) चुप रहे, अगर चुप रहने से आपकी मैरेज लाइफ बच सकती हैं, तो चुप रहे।
6) अपने पर्टनर पर ट्रस्ट करें।
7) अपनी मैरेज लाइफ में होनेस्टी लाएं।
8) अपनी पत्नी या पति की बराबरी किसी अन्य से ना करें।
9) छोटी छोटी बातों पर स्ट्रेस ना लें।

10) अपना थोड़ा टाइम फैमिली को दें।

11) घर में अगर दो बहू हैं, तो दोनों को बराबरी का मान दें।
12) एक बात और खास कर लड़कियों के लिए अपने पर्टनर को बात-बात पर फोर्स ना करें, की वो आपकी हमेशा साइड लें

13) दूसरों की लाइफ में दखल न दें। मैंने बहुत सी लड़कियों को देखा है, उनको अपनी शादी शुदा लाइफ से कोई मतलब नहीं होता। उन लड़कियों को दूसरों की लाइफ में दखल देना बहुत पसंद होता हैं ये गलत हैं। 


अब में इस लेख को यही विराम देती हूँ 🙏
 
मेरी किसी बात से या मेरे किसी शब्दों से आपको ठेस   पहोची हों बुरा लगा तो दिल से माफी चाहती हूँ। माफ़ कीजियेगा। मेरा आपका दिल दुखाना नहीं था।

बस इतना कहना चाहती हूँ की शादी जैसे पवित्र बंधन को समय दे। इतनी जल्दी कोई भी फेसला ना ले। एक पेड़ को भी समय लगता हैं फल-फूल देनें में। 

 मेरा मानना हैं, की लाइफ में थोड़ी बहुत नोक-झोंक होतीं रहनी चाहिए। यही नोक-झोंक रिश्तें में काले टिके का काम करती हैं। इस प्यार भरे रिश्तें में एक काले टिके का होना बहुत जरूरी हैं।

एक बार सोचियागा जरूर।

🙏राधे-राधे🙏

Tuesday, 29 June 2021

HOUSE-QUEEN👸🏻

HOUSE-QUEEN👸🏻


घर की गृहणी, घर की पर्सनल डॉक्टर, बच्चो की टीचर, घर की अन्नपूर्णा कुछ भी कहे कम है।


चले शुरू से शुरुआत करते है।
जब एक लड़की का जन्म होता, तो उसके माता-पिता अच्छे से उसका पालन-पोषण करते है, पढ़ाते-लिखाते हैं, और एक दिन उसकी शादी कर देते हैं। शादी के बाद लड़की और ससुराल पर निर्भर करता है कि वो हॉउस-वाइफ बने या वर्किंग-लेडी बने। यही प्रक्रिया चलती रहती है। 

तो आज हम बात करेंगे हाउस-वाइफ जो घर की क्वीन होती हैं इसलिए हाउस–क्वीन कहा जाता हैं।  मैं भी एक हाउस-वाइफ हूँ अपने घर की क्वीन👸 हाउस–क्वीन👸 जैसे आप सभी हैं। 

चिंता मत कीजिये, मैं अपने बारे में नही सभी हाउस-वाइफ के बारे में बात कर रही हूँ।

ये घर की वो सदस्य होती हैं, जो सुबह सबके जगने से पहले जग जातीं हैं, और रात को सबके सोने के बाद सोती है। कभी छुट्टी नही लेती, क्योंकि घर और घर के सभी सदस्ये इन्ही पर निर्भर होते हैं। अगर ये एक भी दिन की छुट्टी लेले तो घर अस्त-व्यस्त हो जाए। ये अपनी ड्यूटी पर हमेशा रेडी रहती हैं।

बच्चो को पढाते हुए उनकी टीचर, रसोई में काम करते हुए अन्नपूर्णा, बीमारी में सबकी डॉक्टर ये हमेशा अपनी ड्यूटी पर फुल टाइम के लिए रहती हैं। इतने सारे गुण आप एक स्त्री में ही देख सकते है।
वर्किंग-लेडी की बात करे तो वो भी हाउस-वाइफ  ही है, अब आप सोच रहे होंगे। 

कैसे ? 

  अपने वर्किंग-टाइम के बाद घर आकर हाउस हाउस-वाइफ ही बन जाती है। किसको क्या पसंद हैं सब जानती हैं। कोरोना जैसे विकट समय में कितने वर्किंग-लेडी डॉक्टरस ने अपनी पूरी जिम्मेदारी से अपने दोनों फर्ज़ निभाए हैं। हमेशा निभाती आई हैं, पर ऐसे समय में चाहती तो घर बैठ सकती थी पर नहीं अपने फर्ज से हटी नहीं। अपने डॉक्टर होने का और घर आकर एक माँ, बहु, बीवी दोनों फर्ज बखूबी निभाए हैं, और निभाती आई हैं।

मुझे आज भी कुछ जगह देखने को मिलता हैं, की पुरुष अपनी पत्नी का परिचये ये कह कर देते है की ये कुछ नही करती

 तो जनाब एक बात बता दे, ये कुछ ना करने वाली ही बहुत कुछ करती हैं और सब कुछ इन्ही से हैं, ये एक दिन की भी छुट्टी लेले तो घर अस्त-व्यस्त हो जाए। पर गलती पुरुषो की नही हैं, कुछ महिलाओं की भी हैं, उनको अपने परिचये में हाउस-वाइफ बोलने में शर्म आती हैं।

   शर्म किस बात कि, शान से बोलिये हाँ में हाउस-वाइफ हूँ। 

क्या एक हाउस-वाइफ की पहचान बस हाउस-वाइफ तक ही सीमित है  ?
आइये कुछ हाउस-वाइफ के बारे में बात करते हैं :

मेरी मम्मी(नलिनी अग्रवाल)

शुरू से ही वर्किंग-लेडी रही हैं, अब उनका रिटायरमेंट हो गया है। पर उनका टाइम शेडुएल चेंज नही हुआ। वो रोज सुबह पांच बजे (5 o' clock) उठ जातीं हैं। कभी मेड नही लगाई। सारे काम खुद ही करती हैं, और यही आदत हम दोनो भाई-बहन को डलवा रखी हैं।
घर में कोई फंक्शन या कोई भी कार्य हो सारे काम खुद ही करती हैं सबका खाना भी खुद बनाती हैं, उनके हाथो में अन्नपूर्णा का वास हैं। थकान जैसा शब्द उनकी डिक्शनरी में कहीं नहीं हैं। इस एज में आकर भी इतना एक्टिव रहना। "आई एम प्राउड ऑफ यू मम्मी" मम्मी के लिए लिखू तो पूरी किताब लिखी जा सकती हैं।

 
आइये अब दूसरी हाउस-वाइफ मेरी लैंडलैडी

(रजनी शर्मा) की करते हैं।

इनको में भाभी बोलती हूँ, ये मेरी मम्मी की कार्बन-कॉपी हैं। शक्ल वाली कार्बन-कॉपी नही। घर के कामों में कार्बन-कॉपी। मम्मी के बाद इतनी महंती महिला मैने यही देखी हैं, महिलाएं तो बहुत देखी हैं, इतनी मेहंती बहुत कम ही देखी हैं । रजीनि भाभी के चेहरे पर भी मैने कभी थकान नहीं देखी, में बता नहीं सकती वो कितने लोगों का खाना अकेले बना लेती हैं, और खाना आपके रेस्ट्रोडेंट-होटल सब फेल हैं। जितनी तारीफ करो कम हैं।

 
आईये अब बात करते हैं मेरी पड़ोस में रहने वाली मेरी हम 

उम्र (दीपिका गोयल) की।

अब की जनरेशन में ऐसी हाउस-वाइफ बहुत कम देखने को मिलती हैं। बहुत मेहंती हैं इनके चेहरे पर भी कभी थकान नहीं देखी। घर के हर काम में निपूर्ण। सबका ध्यान कैसे रखना जाता हैं कोई इनसे सीखे । सुबह कब उठती हैं, मुझे नहीं पता। लेकिन
अगर आपको एक बात बताये तो आप विश्वास नही करोगें, इनके छुटके महाराज
(बेबी मनन) छ बजे (6o'clock) उठकर नहा धोकर पूजा कर लेता हैं। मात्र चार साल का हैं। बोला था ना, विश्वास नहीं होगा।

 
अब बात करते हैं मेरी ही परिचित.... 

मेरी छोटी ननंद की सास (सरिता जैस्वाल जी) की

बहुत हंसमुख स्वभाव की हैं। चहरे पर किसी भी तरह की कोई शिकन नहीं। बहुत सॉफ्ट नैचर हैं।
घर के हर काम में निपुण। किसी अन्नपूर्णा से कम नहीं हैं हर तरह से एक पर्फेक्ट हाउस-वाइफ। 

ये तो मेरे से संबंधित कुछ हाउस-वाइफ के बारे में छोटा सा एक परिचय था। छोटा सा ब्लॉग हैं, सबके बारे में नहीं लिख सकती हूं।

हमारी लाइफ में बहुत सी महिलाएं ऐसी होतीं हैं, जिन्हें देख कर हमें प्रेरणना लेंनी चाहिए।

 
आप किसको पर्फेक्ट हाउस-वाइफ कह सकते हैं
बताइयेगा जरूर आपकी लाइफ में कौन-सी महिला पर्फेक्ट हाउस-वाइफ हैं।

Take Care And Stay Safe.


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Thursday, 24 June 2021

"LifeStyle With Junk Food & Elecronic Device"

 "Lifestyle With Junk Food & Electronic Device"


हम अपनी लाइफ मे इतने व्यस्थ हो गए है की, gadgit के पीछे भाग रहे है, मशीनरी लाइफ बन गई है।

बिना इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के कोई काम नही होता

*****मनोरंजन के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (Mobile, Computer, video games etc) 

आज के टाइम मे हम लोग फैमिली 👨‍👩‍👧‍👦 के साथ दोस्तो के साथ टाइम स्पेंड नही करना चाहते है। 

इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों......जैसे: मोबाइल, कंप्यूटर वीडियो गेम आदि इनका उपयोग करते करते इतना खो गए है की हमने अपने फैमिली मेंबर्स, फ्रेंड्स इन सबसे मतलब ही खो दिया है। 

इनका प्रयोग ही हमारी लाइफ का एक जरूरी हिस्सा बन गया है।  आज लोगो को,छोटे-छोटे बच्चो को गंभीर बिमारियाँ हो रही है, क्यों की लाइफ स्टाइल ही ऐसा हो गया है। हमारे लाइफ स्टाइल में कोई भी एक्विटी ऐसी नही है जिससे लाइफ स्टाइल हेल्थि रहे। 

   अगर हम अपनी मम्मी-पापा, दादी-बाबा, नाना-नानी....उस टाइम के लोगो की पीढ़ियों को देखे तो उनका लाइफ स्टाइल अब के लाइफ स्टाइल से बहुत अच्छा और हेल्थि लाइफ स्टाइल रहा है। 

   उस समय के लोगो को किसी हेलप्पेर की जरूरत नही होती थी। उस टाइम में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का नाम भी नही था। वो लोग अपना काम खुद ही करते थे।

   घर की गृहणी रसोई का काम, घर की साफ सफाई, पैदल बाजार आना जाना, कही भी आना जाना हो पैदल ही आते जाते थे, आदि सब काम स्वयं ही करती थी ।  उस टाइम के लोगो को किसी योगा की जरूरत नही रहती थी, ऐसा नहीं है, करते थे योगा पर अपने शरीर को घर के कामो मे ही इतना व्यस्थ रखते थे, की उनको किसी योगा की जरूरत नही पड़ती थी।उनका शरीर एक्टिव रहता था इसलिए इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रांग💪 रहता था। 

    घर का बना शुद्ध खाना खाते थे, और सबको वही खिलाते थे। उस टाइम होटल, रेस्ट्रोडेंट नही थे, जंक फूड का भी कोई नाम नही था। इसलिए हेल्थि लाइफ स्टाइल था। 

  हम दूर क्यो जा रहे है, घर मे जो मेड आती है आप उसको देख सकते है। घर घर जाकर काम करती है। 

  अपने शरीर को एक्टिव रख रखा है। घर का बना खाना खाती है , हेल्थि फूड। उनका लाइफ स्टाइल हेल्थि लाइफ स्टाइल है। 

  पहले के लोगो की इम्यूनिटी बहुत स्ट्रांग थी। बीमारिया ना के बराबर होती थी। 

Death age..... 90+++++

  अब के लोगो की इम्यूनिटी इतनी कमजोर है, बल्कि उन्होंने बना रखी है,अपने लाइफ स्टाइल से....

   Death Age....60-70

   आजकल लाइफ इतनी व्यस्थ हो गयी है,या कह लीजिये हम लोगो ने बना रखी है.....सभी को हेल्प्पेर की जरूरत होती है। 

  रसोई के काम के लिए.... Maid

 घर की साफ सफाई के लिए....Maid/Electronic devices(Washing Machine, Vaccum Cleaner etccc)......घर के काम आजकल लोगों की हॉबी मे नही आते और बच्चे भी ऐसी ही आदत का शिकार हो रहे है। 

 आजकल लोगो की हॉबी  मे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है, या कह लीजिय (good lifestyle/culture) 

जिसके पास जितना अच्छा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण(device) उसका लाइफ स्टाइल उतना ही अच्छा है। 

....योगा🧘‍♀️के नाम पर....Gym

....फूड🍲के नाम पर....Junk Food🥙🍟🍔🌭🥪🍕🍝🍜🌮

इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के साथ - साथ जंक फूड भी लाइफ का एक हिस्सा बन गए है। 

.........मैं जहाँ रहती हूँ वहा एक शॉप है, वही पड़ोस (Neighbour) मे दो बच्चे है। मुझे नही लगता कि वो बच्चे घर का खाना भी खाते होंगे। अपनी हेल्थ के साथ खुद ही खिलवाड कर रहे है, या कहे लीजिये माता- पिता की छूट मम्मी लोग अपना ज्यादा समय  मोबाइल जैसे उपकरणों के साथ बीता रही है। 

हेल्थी फूड बनाने का खिलाने का और खाने का समय ही उनके पास नही है। 

आजकल के बच्चे जंक फूड की तरफ भाग रहे है। 

आप जंक फूड खाये टेस्ट के लिए खाये, मोबाइल जैसे उपकरणों का उपयोग मनोरंजन के लिए करे, 

 खाली समय मे फैमिली, 👨‍👩‍👧‍👦 फ्रेंड्स के साथ स्पेंड करे। 

वर्किंग वालो का समझ में आता है, लेकिन अगर वो चाहे तो कुछ बातों को अवॉयड करके अपनी लाइफ स्टाइल को हेल्थि बना सकते है। 

अगर हमे अपनी इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रांग करना है, और लाइफ स्टाइल हेल्थि रखना है  तो लाइफ में थोड़ा चेंज होने जरूरी है..... 

How to change life style....

***लिफ्ट का प्रयोग ना करे। 

***छोटे छोटे कामो के लिए हेल्प ना ले (बच्चो मे भी यही आदत डालें) 

***रोज सुबहा - शाम पैदल चले। 

***ताजी हवा ले

***इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों (Device), वाशिंग मशीन, वाकम् क्लीनर, आदि जैसे उपकरण का प्रयोग कम करे। 

***जंक फूड को अवॉयड करे🍔🌭🍟🍕🍝🍜🌮

***घर का बना हेल्थि खाना खाये

***योग करे 🧘‍♀️

• Must Read : Health and fitness for busy people

***कोई एक खेल 🎮चुने  और प्रतिदिन खेले

(घर मे बैठ कर मोबाइल या कंप्यूटर के साथ नही

अपनी फैमिली या किसी फ्रेंड्स के साथ खेले) 

Like...Bedmintion 🏸🏸🏸


🏸Bedmintion is good for health.....U Know.....एक घण्टा बैडमिंटन खेलने से 450-480 कैलोरी बर्न होती है। 

  (जिस भी खेल में रुचि हो वो खेले)  


***जिस भी काम मे आपका मन लगता है वो काम करे जैसे...गर्डनिंग । 

लाइफ स्टाइल को हेल्थि बनाये। शरीर को स्वस्थ रखना हमारा कर्तव्य है। 

"स्वस्थ रहे शरीर तो संभव है हर काम, 

"स्वास्थ्य अगर साथ हो तो तय करे मुकाम"।।






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एक आम