Tuesday, 30 November 2021

ज़िम्मेदारी........

ज़िम्मेदारी........


वैसे तो जिम्मेदारियाँ मनुष्य के जन्म लेते ही उसके साथ जुड़ जाती हैं। एक व्यक्ति की जिम्मेदारी दूसरे की ताकत और सफलता बनती है, जिन पर चढ़कर व्यक्‍ति अपने परिवार समाज और देश की तरक्की करता हैं।

अगर बात की जाए की ज़िम्मेदारी किया हैं...तो......
कर्तव्यों का दूसरा नाम ज़िम्मेदारी हैं।  किसी भी व्यक्ति के लिए जो कर्तव्य है उसी का नाम ही ज़िम्मेदारी हैं। सब किसी न किसी ज़िम्मेदारी से जुड़े हैं। जीवन में ज़िम्मेदारी का होना बहुत जरुरी हैं। इसी का नाम जिंदगी हैं।


आज मैं अपनी ही एक सेहली पूजा की बात करती हूं.......

पूजा दो भाई–बहन हैं। पूजा बड़ी हैं। घर में बड़ी, लेकिन बचपन से ही बहुत चुलबुली थीं। सबके साथ घुलमिल जाना सबको खुश रखना। पूजा बहुत मस्ती करती थी। स्कूल–क्लास में सब उससे बहुत खुश रहते थे। दिल की बहुत साफ़ सबकी हेल्प करना उसको बहुत अच्छा लगता था।

पूजा को किसी बात की कोई टेंशन नहीं रहतीं थीं । वैसे भी बचपन में किसी बात की कोई ज़िम्मेदारी टेंशन होती ही नहीं हैं। सब काम मम्मी–पापा या बड़े भाई–बहन किया करते हैं। पूरी तरह से मम्मी पापा पर निर्भर रहना। काम कब हो जाता हैं पता नहीं चलता।

स्कूल से कॉलेज में आए। थोड़ी ज़िम्मेदारी आई। पर उस टाइम भी वो ज़िम्मेदारी, ज़िम्मेदारी नहीं थी।
हां स्कूल का काम मम्मी पापा के बिना नहीं होता था और कॉलेज में आने के बाद अपना काम खुद ही करना होता था। यहां थोड़ी ज़िम्मेदारी आ गई थीं। वैसे तो मम्मी पापा के बिना तो कोई काम नहीं होता लेकिन कॉलेज में आने के बाद पूजा की कोशिश यही रहती थीं कि अपना काम खुद करें। क्योंकि उसके मम्मी–पापा दोनों जॉब करते थें।

कॉलेज खत्म हुआ। पूजा का रिश्ता हो गया। मुझे पूजा ने जब रिश्ते के बताया तब मैं सुनकर हैरान तो थी पर खुश भी थी आखिर पूजा का रिश्ता हो गया हैरान इसलिए थी कि पूजा मैं बचपना बहुत था। उसको किसी बात की समझ नहीं थीं । समय बीतता गया वो टाइम आ गया और चुलबुली मासूम पूजा की शादी हों गई अब यहां आकर पूजा पर थोड़ी ज़िम्मेदारी आ गई थीं।

सुबह उठना, सबके लिए नाश्ता, नाश्ते के बाद, दुपहर के खाने की तैयारी, फिर शाम के चाय का सोचना, चाय के साथ किया बनेगा। रात होते ही खाने की तैयारी। सबकी पसंद ना पसंद सबका ध्यान रखना ।

मैं पूजा के लिए थोड़ी चिंतित इसलिए थी क्योंकि......उसके साथ ये सब पहले नहीं था मतलब शादी से पहले क्योंकि किसी बात की ज़िम्मेदारी नहीं थी। कब नाश्ता खाना बन जाता था पता ही नहीं चलता था। उसमें तो भाजी तरकारी खरीदने की भी समझ नहीं थीं।

पूजा के ससुराल में....दादा ससुर, सास, ससुर, ननंद।
पति घर से बाहर रहते थे। दिल्ली में जॉब थीं। पूजा बड़ी थीं तो ज़िम्मेदारी भी बड़ी थी। खेर समय बीतता गया। थोड़े उतार चढ़ाव आए पर उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखती थी। उतार चढ़ाव तो सबकी लाइफ में आते ही हैं।
अच्छे से उसने अपनी ज़िम्मेदारी निभाई और निभाते आ रही हैं। उसकी शादी को आज नौ साल हों गए हैं।
हम सब उसको देखकर दंग रहे जाते हैं की ये वहीं पूजा हैं जिसको किसी बात की कोई टेंशन नहीं रहती थीं कोई ज़िम्मेदारी कुछ नहीं  हम सब उसको चिड़ाते रहते थे कैसे करेंगी ये लड़की और आज पूजा अच्छे से अपने घर परिवार की ज़िम्मेदारी निभा रहीं हैं। श्री राधे रानी जी की कृपा से उनके आशीर्वाद से सब अच्छे से चल रहा हैं।

पूजा की शादी के कुछ साल बाद उसके दादा ससुर जी का देहांत हो गया। उनके बाद उसकी सास का भी देहांत हो गया। ज़िम्मेदारी अब आकर बढ़ गई थीं । क्योंकि अब घर में वहीं ही बड़ी रह गई थीं। ससुर जी थे पर वो काफी बुजुर्ग थे। घर एक महिला से चलता हैं घर मे पूजा ही अब बड़ी रह गई थी।

पूजा की सास के देहांत के बाद एक ज़िम्मेदारी थी ननंद की शादी.......और ये ज़िम्मेदारी कोई आम ज़िम्मेदारी नहीं थीं।
पूजा और उसके पति आशीष दोनों बहुत परेशान भी रहते थें। पूजा इसलिए ज्यादा परेशान रहती थी,क्योंकि कुछ कमी हो गई , या परिवार अच्छा नहीं मिला या ननंद खुश नहीं हैं तो सब पूजा को ही दोष देंगे।

खैर........2019 में ननंद का रिश्ता हों गया। देखा–दिखाई, शॉपिंग । शादी की पूरी ज़िम्मेदारी पूजा और उसके पति आशीष के ऊपर थी। पूरी ज़िम्मेदारी के साथ ननंद की शादी मेरठ के एक अच्छे और सम्पन परिवार में हुई हैं। आज 2 साल हो गए हैं भगवान जी के आशीर्वाद से सब ठीक चल रहा हैं।

पूजा अपने मायके में भी बड़ी थीं भाई छोटा है उसका वैसे छोटे तो छोटे ही होते हैं। 2020 में उसके पापा का देहांत हो गया अब उसकी ज़िम्मेदारी और बढ़ गई घर और ससुराल दोनों का देखना। अब उसकी एक ज़िम्मेदारी अपने भाई की शादी की हैं।

जिम्मेदारियां कभी खत्म नहीं होती हैं। निरंतर बढ़ती रहती हैं। इसी का नाम जिंदगी हैं।

मैं भी अपनी पूरी ज़िम्मेदारी के साथ जल्दी ही मिलती हूं अगले ब्लॉग में।

Saturday, 27 November 2021

Vitamin "C"

 Vitamin "C"

यू तो विटामिन टू टाइप्स के होते हैं।

वाटर सॉल्युबल एंड फैट सॉल्युबल। वाटर एंड फैट सॉल्युबल के भी अलग अलग टाइप्स और फायदे हैं।

आज हम वाटर सॉल्युबल विटामिन सी की बात करेंगे।

विटामिन सी को एस्कार्बिक एसिड के नाम से जाना जाता हैं।


Benefits of vitamin "C"

विटामिन सी.....शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता हैं और घाव को तेजी से भरता है। इसलिए विटामिन सी को डाइट में लेते रहना चाहिए। विटामिन सी एक एंटीऑक्सीडेंट हैं, जो ऊतकों को ठीक करने में सहयता करता हैं और शरीर में होने वाले सूजन को कम करता हैं।

विटामिन सी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने में सहायता करता है। विटामिन सी का सेवन। विटामिन सी ब्लड सेल्स को रिलैक्स करता है जिससे ब्लड प्रेशर कम होता है और हृदय सम्बंधित रोग भी कम होते हैं।

विटामिन सी आयरन अवशोषित करने सहायता करता है।
आयरन अवशोषण के लिए विटामिन सी अच्छा तत्व हैं।

विटामिन सी कोरोना वायरस में डॉक्टर्स ने भी विटामिन सी लेने की सलाह दी हैं। इम्यूनिटी स्ट्रांग करने के लिए विटामिन सी को अपनी डाइट में लेते रहना चाहिए।

विटामिन सी न केवल हमारी सेहत बल्कि हमारी सुंदरता में भी चार चांद लगा देता है। 

विटामिन सी आंखों के लिए बहुत अच्छा है तत्व है, और आंखे हेल्थी रहती हैं।

विटामिन सी हड्डियों को मजबूत करने में मदद करता है।

विटामिन सी चोट या घाव को भरने में मदद करता है।


Sources of vitamin "C"

Vitamin "C".......खट्टे रसदार फल जैसे आंवला, नारंगी, नींबू, संतरा, बेर, कटहल, शलगम, पुदीना, अंगूर, टमाटर, अमरूद, सेब, केला, मूली के पत्ते, मुनक्का, दूध, चुकंदर, चौलाई, बंदगोभी, हरा धनिया, और पालक विटामिन सी के अच्छे स्रोत हैं। 

शरीर में विटामिन सी की कमी को दूर करने के लिए प्रतिदिन अपनी डाइट में विटामिन सी का सेवन प्राकृतिक रूप से करना चाहिए।


प्राकृतिक रूप के अलावा विटामिन सी को हम टैबलेट्स द्वारा भी डेली अपनी डाइट में ले सकते हैं।


विटामिन सी की कमी.........

शरीर में विटामिन सी की कमी होने पर सबसे पहले आपकी इम्यूनिटी पर असर पड़ता है, विटामिन सी की कमी होने पर आपकी इम्यूनिटी भी कमज़ोर होने लगती हैं, और इम्यूनिटी के कमज़ोर होने से शरीर कमजोर होने लगता है, और कोई न कोई बीमारी लगी रहती है।

विटामिन सी की कमी के कई लक्षणों से पहचान सकते हैं।

1.....विटामिन सी की कमी से शरीर में कमजोरी महसूस होती है।

2.....स्कर्वी रोग की मुख्य वजह विटामिन सी की कमी है।

3.....शरीर में विटामिन सी की कमी होने पर मसूड़ों से खून आने लगता है और सूजन आ जाती है।
4.....आपकी त्वचा पर लाल चकत्ते होने लगते हैं।

5.....दांत कमजोर हो जाते हैं।

6..... कोलेजन की मात्रा कम होने लगती है।

विटामिन सी के फायदें तो सभी को पता हैं। क्या किसी को ये पता हैं विटामिन सी के नुकसान क्या हैं। कहते हैं हर चीज़ के नुकसान और फ़ायदे भी होते हैं।
आइए विटामिन सी के नुकसान को देखते हैं.......

विटामिन सी की अधिक मात्रा के नुकसान...........

अधिक मात्रा में विटामिन-सी लेने से शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता हैं..........


 विटामिन सी  हमारे शरीर के लिए बहुत जरुरी हैं.....लेकिन हर चीज़ की एक सीमित मात्रा होती हैं, डाइट में कुछ भी लें रहें हों एक सीमित मात्रा में लेना चाहिए।
विटामिन सी की मात्रा ना तो अधिक और ना कम होनी चाहिए। अधिक मात्रा में लेने से पेट खराब, डायरिया और किडनी में पथरी की समस्या हो सकती है। पेट खराब और डायरिया तो एक आम समस्या हैं, लेकिन किडनी में पथरी की समस्या गंभीर है, जिसे बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। इसलिए विटामिन सी को सीमित मात्रा में लेना चाहिए।

विटामिन सी को लेने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें।

Take care and stay safe


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Monday, 22 November 2021

"Health Care In Winter Season"

 "Health Care In Winter Season" 

(winter season part 1)



सर्दियों का मौसम शुरू हो गया हैं। सोचा क्यों ना आप सबके साथ सर्दियों का मौसम सेलिब्रेट किया जाए । सर्दियों का मौसम शुरू होते ही सबके मुंह से एक ही बात सुनने को मिलती हैं ठंडी लग गई।

शरद ऋतु भारत में चारों ऋतुओं में सबसे ठंडी ऋतु होती है। यह दिसम्बर के महीने में पड़ती है और मार्च में होली के दौरान खत्म होती है। दिसम्बर और जनवरी को शरद ऋतु के सबसे ठंडे महीने माने जाते हैं। 

वैसे भी ठंडी के मौसम का अपना ही अलग मज़ा हैं। शीत ऋतु बहुत शुष्क मौसम हैं। पेड़ों से पत्ते गिरने लगते हैं। फिर भी इस मौसम में बहुत तरह के रंग बिरंगे फूल खिलते हैं।  विभिन्न प्रकार की हरी साग सब्जियां आती हैं। 

स्वास्थ्यवर्धक और पसंदीदा फलों संतरा, अमरूद, चीकू, पपीता, आंवला, गाजर, अंगूर आदि का मौसम है। वैसे सर्दियों को खाने पीने का मौसम कहा जाता हैं। क्योंकि खाने पीने का मज़ा सर्दियों में ही हैं।

दीवाली, क्रिसमस, नव-वर्ष , लोहड़ी जैसे त्योहार इसी मौसम में आते हैं।

सर्दियों के मौसम को ठंडी हवाओं के चलने, बर्फ के गिरने, बहुत कम तापमान ,छोटे दिन, लम्बी रातें आदि विशेषताओं के द्वारा पहचाना जाता है। यह मौसम लगभग तीन महीने का होता है, जो दिसम्बर में शुरु होता है और मार्च में खत्म होता है। शरद ऋतु सभी के लिए बहुत ही कठिनाई वाली ऋतु है। लेकिन इस ऋतु का भी अपना अलग मज़ा हैं।

सर्दी के मौसम में सांस संबंधी बीमारियों जैसे दमा (asthma), COPD और एलर्जी आदि का प्रकोप कुछ ज्यादा ही बढ़ जाता है । ऐसे में बच्चों और वृद्धों पर विशेष ध्यान देने की जरुरत होती है । 


सर्दियों के मौसम में क्या खाना चाहिए..........

सर्दियों के मौसम में कुछ निम्नलिखित आहार का सेवन करना चाहिए जो स्वस्थ के लिए अच्छा और लाभदायक हैं.........

सर्दियों के मौसम में संतरा खाए – संतरा में उच्च मात्रा में विटामिन सी होता है जो हमारे शरीर के इम्युनिटी मजबूत करता है। इम्युनिटी शरीर को संक्रमण और फ्लू से बचाव करता है। इम्युनिटी को मजबूत करने के लिए आप को रोजाना एक संतरे का सेवन करना चाहिए। इसके अलावा संतरे का जूस भी पी सकते है।


अनार ठंडी से बचाव करें – अनार में उच्च मात्रा में आयरन, पोटेशियम, मैग्नीशियम व विटामिन ए होता है। जो शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में मदद करता है और एनीमिया जैसी बीमारियों को दूर करता है। अनार शरीर की कमजोरी को दूर करता है और ठंडी से बचाता है। आप अनार के जूस का भी सेवन कर सकती हैं, क्योंकि अनार बहुत सी बीमारियों के खतरे को कम कर देता हैं।


सर्दियों के मौसम में बादाम का सेवन करें – बादाम एक अच्छा सूखा मेवा है जो अच्छी मात्रा में शरीर को विटामिन और खनिज प्रदान करता है। बादाम में कुछ ऐसे यौगिक होते है जो शरीर के अंदर की कमजोरी को जड़ से ख़त्म कर देता हैं, और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। रात को पानी में बादाम को भीगा कर रख दे। सुबह उठाकर भीगे हुए बादमो का सेवन करें। इस बात का ध्यान रखे एक दिन में 5 से 6 बादाम का सेवन करें। अधिक करने पर पेट में दर्द की समस्या हो सकती है।

हल्दी का सेवन करे – हल्दी में एंटीबैक्टीरियल गुण मौजूद होता है जो शरीर को संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती है। हल्दी त्वचा की समस्या को ठीक करता है इसलिए बहुत से कॉस्मेटिक हल्दी से बने होते है जो त्वचा की सुंदरता बढ़ाता है। सर्दियों के मौसम में अपने भोजन में हल्दी का उपयोग जरूर करना चाहिए, हल्दी हमे कई तरह के रोगो से बचाता है जैसे शरीर दर्द, चोट, संक्रमण आदि। सर्दियों में कच्ची हल्दी का प्रयोग स्वस्थ के लिए बहुत अच्छा रहता हैं।


अदरक की चाय पिये – अदरक में एंटीऑक्सीडेंट गुण व एंटी सेप्टिक गुण होता है जो शरीर में कमजोरी दूर कर मजबूत करता है। अक्सर लोग ठंडी के मौसम में अदरक की चाय बड़े पैमाने पर लोग पीना पसंद करते है। भारत में युपी और बिहार में अधिक ठंडी पड़ती है जिसके कारण वहा के लोग अदरक की चाय अधिक पीते है। अदरक ठंडी से राहत पहुंचाने व शरीर में गर्माहट का एहसास देता है।


सर्दियों के मौसम में अंडे का सेवन करना चाहिए – अगर आप अंडा खाते हैं तो सर्दियों के मौसम में अंडा जरूर खाएं। अंडे प्राकृतिक रूप गर्म माने जाते है। अंडे के पिले भाग गर्म होते है इनको उबालकर ठंडी के मौसम में रोजाना खाया जाये तो ठंडी की समस्या को थोड़ा कम करता है। सर्दियों के मौसम में बड़े हो या छोटे बच्चे हो उनको अंडे का सेवन करवाना चाहिए। अंडे में अच्छी मात्रा में पोषक तत्व मौजूद होता है। जो आपके शरीर को मजबूत करता है। कुछ शोध के अनुसार ठंडी देश के लोग सर्दियों से राहत पाने के लिए अंडे का सेवन करना पसंद करते है।

सर्दियों के मौसम में गाजर का सेवन करना चाहिए – सर्दियों के मौसम में गाजर का उत्पादन अधिक होता है। गाजर में बहुत से विटामिन और खनिज होते है जो शरीर की कमजोरी को दूर करते है से लड़ने की शक्ति को मजबूत करता है। गाजर का उपयोग आप सुप, सब्जी, सलाद, व गाजर का रस आदि का सेवन कर सकते है।

दूसरे मौसम की तुलना में सर्दियों का मौसम अच्छा माना जाता है । लेकिन यह अच्छा हो सकता है जब हम अपने स्वस्थ का ध्यान रखें। इन टिप्स के साथ स्वस्थ का ख्याल रखें और सर्दियों के मौसम का मज़ा लें।


Take Care And Stay Safe

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Tuesday, 16 November 2021

Women's Health

Women's Health


आज के समय में महिलाएं घर ही नहीं बाहर जाकर पुरुषों के साथ कन्थे से कन्था मिलाकर काम करती हैं। और इस भाग दौर की जिंदगी में अपना ध्यान भी रखना उतना ही जरूरी हैं ।

यदि शरीर की रोग प्रतिरोधंक क्षमता कम हो जाये, तो विभिन्न प्रकार के रोग हमें घेर लेते है. निरोगी जीवन जीने के लिए शरीर की इम्युनिटी का मजबूत होना बहुत जरुरी है. योगाभ्यास और प्राणायाम जहाँ शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते है ही.
वहीँ उचित और संतुलित आहार भी इम्युनिटी को बढ़ने में सहायक होता हैं। महिलाओं की जान अपने परिवार में बसती हैं। और अपने परिवार का ध्यान तभी रख पाएगी जब ख़ुद का ध्यान रखेंगी।
तो आज हम अपने ब्लॉग में हेल्थ टिप्स की बात करेंगें और जनेंगें हम अपनी इम्यूनिटी को कैसे बढ़ा सकते हैं ।

*****बेस्ट हेल्थ टिप्स

1..... ठीक मात्रा में पानी पिये🥤
हमारा शरीर में 70% पानी होता हैं।
शरीर में पानी की मात्रा को ठीक रखने के लिए दिन में 4-5 लीटर पानी पीना चाहिए ।

2..... फलों का जूस पिया🍹🍹
फलों का जूस पिए, नारियल पानी पिये। नारियल पानी के सेवन से इम्यूनिटी सिस्टम सही रहता हैं।

3..... मोसमी फल व सब्जी का प्रयोग करें
इम्यूनिटी सिस्टम को सही रखने के लिए मोसमी फल व सब्जी का सेवन करें।

4..... अधिक से अधिक खाने में हरी साग, सब्जियों का प्रयोग करें।

5..... अपनी डाइट में विटामिन प्रोटीन का यूज करें।



6..... हेल्थी ब्रेक फास्ट लें । ब्रेक फास्ट करना ना भूलें। अपने दिन की शुरुआत प्रोटीन और फाइबर से करें।

7..... अपनी डाइट में सूखे मेवों को शामिल करें।

8..... सेब फलों में सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है. इसलिए डॉक्टर हमें एक सेब रोज़ खाने की सलाह  देते हैं, जो महिलाएं रोजाना एक सेब खाती हैं उनका इम्यूनिटी सिस्टम बढ़िया रहता है । सेब में मौजूद विटामिन और पोषक तत्व हर तरह की बीमारी के लिए फायदेमंद है, सेब खाने से महिलाओं में खून की कमी को बढ़ाता है वहीं ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करता है ।


9...... ज्यादातर महिलाओं के शरीर में आयरन की कमी होती है, इसलिए महिलाओं को अपने खाने में पोष्टिक चीजों को जोड़ना चाहिए । अनार को डाइट में शामिल करने से कई फायदे हो सकते हैं । अनार, पालक जैसी फल सब्जियों को डाइट में शामिल करें इनमें आयरन की अधिक मात्रा होती है ।


10..... डाइट में कार्बोहाइड्रेट्स का यूज कम करें।

11..... दिन भर में कुछ कुछ खाते रहें, खाने के बीच लंबा गेप नहीं होना चाहिए।

12..... हम हाउस वाइफ दूसरों के लिए घर के लिए हमेशा सोचती है। हमेशा ध्यान रखती हैं। थोड़ा टाइम अपने लिए भी निकालना चाहिए। 

13..... समय समय पर डॉक्टर के पास जाए,
अपना रूटीन चेकअप जरूर करवाती रहें।


14..... स्ट्रेस को कम करें
यदि आप तनाव या स्ट्रेस लेती हैं, तो स्वस्थ पर बुरा असर पड़ता हैं। इससे भाग नहीं सकते। लेकिन इन सबको दूर जरूर कर सकती हैं..…..

गहरी साँस लेना

ध्यान

योग और योगासन


व्यायाम

मालिश

पौष्टिक भोजन

15..... डाइटिंग बन्द कर दें। डाइटिंग से कुछ नहीं होता। हेल्थी फ़ूड खाए। ओवरइटिंग, जंक फ़ूड का यूज कम कर दें।

16..... खुश रहें। फैमिली, दोस्तों के साथ व्यतित किया हुआ समय बहुत ही खुशनुमा और मजेदार होता है। जिससे आपका मन प्रसन्न होता है। और एक प्रसन्न मन ही एक हेल्थी लाइफ की नीवं है।


17..... दोस्तों के साथ अपनी सबसे पसंदीदा हॉबी को एन्जॉय करे । क्योंकि हॉबी को आप मन से एन्जॉय करेंगे।


18..... व्यस्त रहें, मस्त रहें
“सौ बात एक बात” हम जितना अधिक अपने कार्यो , परिवार ,मित्रोँ, और अपनी रूचि को समय देंगे उतना अधिक हम शारीरिक और मानसिक रूप स्वस्थ रह पायेंगे |

इन सभी आसान हेल्थ टिप्स को अपनाकर एक महिला अपने आपको स्वस्थ रख सकती है। 




Thanks for reading.

Take Care And Stay Safe.






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Monday, 11 October 2021

Health-Environment Issue

Health-Environment Issue


आजकल हेल्थ को लेकर सब बहुत सतर्क हो गए हैं।
कुछ न कुछ हेल्थ प्रॉब्लम सबके साथ लगी रहती हैं।
और हेल्थ प्रॉब्लमस क्यों ना हो, दिन प्रतिदिन पर्यावरण दूषित होता जा रहा हैं।
पर्यावरण को लेकर अभी भी जागरुकता में कमी आ रही हैं। और समस्या बढ़ती जा रही हैं। नई नई बीमारियाँ हो रही हैं।
बड़े बड़े उद्योगो-कारखानों का निर्माण, बड़े बड़े शहरों का निर्माण जंगल कटने से हो रहा हैं। यही कारण है कि आज के समय में स्वस्थ पर बुरा असर पड़ रहा हैं।
पर्यावरण को अपनी प्रकृति को दूषित भी हम जैसे लोग ही कर रहे हैं। जैसे गलती करने पर हमारे माता पिता, हमारे टीचर्स हमें पनिशमेंट देते हैं वैसे ही प्रकृति भी हमें पनिशमेंट दें रही हैं।
अपनी प्रकृति को साफ सुधरा रखना हमारी जिम्मेदारी है।
मानव स्वस्थ उसकी सबसे बड़ी पूंजी हैं। क्यों की स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ विचार आते हैं। इसलिए स्वस्थ रहना बहुत जरूरी हैं क्योंकी जब हम खुद स्वस्थ रहेगें तभी हम अपने परिवार, समाज, देश को स्वस्थ रख पायगे।

मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण में अटूट संबंध है। हम स्वस्थ जीवन जी सकें, इसके लिए पर्यावरण और उसके घटकों के बीच संतुलन बनाए रखना हमारी जिम्मेदारी है।

घर से बाहर हमें बहुत से पर्यावरण का सामना करना होता हैं, जो हमारे अंगों पर प्रभावित डालते हैं।

*वायु
*जल
*ध्वनि

*हवा, जल और तेज आवाज़ में इन सबसे मनुष्य, पशुओं तथा पक्षियों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इससे दमा, सर्दी-खाँसी, अँधापन, श्रव का कमजोर होना, त्वचा रोग जैसी बीमारियाँ पैदा होती हैं। लंबे (लम्बे) समय के बाद इससे जननिक विकृतियाँ उत्पन्न हो जाती हैं और अपनी चरमसीमा पर यह घातक भी हो सकती हैं।

सरकार द्वारा बनाये गए प्रोग्राम में सरकार का सयोग दें।  स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बने।

****पेड़ पौधे लगाएं
जितनी जनसख्या से पेड़ कट रहे हैं। उतनी ही जनसख्या से वृक्षरोपड़ भी होना चाहिए। यही कारण
पर्यावरण दूषित होता जा रहा हैं।
जंगल कट रहे हैं। बस्तियों और शहरों का निर्माण हो रहा हैं।
अगर  हर घर से एक पेड़ भी लगाया जाए तो हम प्राकृतिक आपदाओ को रोक सकते हैं।
प्राकृतिक आपदा प्रकृति का क्रोध हैं। प्रकृति को नुकसान हम जैसे ही लोग पहुँचा रहे हैं इसलिए प्रकृति का क्रोध भी हमें ही सहना पड़ेगा।

मैंने एक चिड़ियाँ 🐤 पाली,एक दिन वो उड़ गई ।
फिर मैंने एक गिलहरी 🐿 पाली,वो भी एक दिन चली गई।।
फिर मैंने एक दिन एक पेड़ 🌳 लगाया ।
वो दोनों वापस आ गई ।।

****प्लास्टिक का उपयोग ना करना
प्लास्टिक का प्रयोग ना करें। आजकल रोज मार्रा की जिंदगी में प्लास्टिक का उपयोग एक आम बात हैं।
प्लास्टिक हेल्थ के लिए अच्छी नहीं होतीं हैं। कोशिश करें की प्लास्टिक का उपयोग ना करें। माइक्रोवेव या ओवन मे खाना गर्म करना हो कांच का प्रयोग करें ।

****नदियों को साफ रखें
नदियों को साफ रखें नदियों को साफ रखना बहुत जरूरी हैं। आजकल अंधविश्वश ने क्रम काण्ड ने हमारी पवित्र नदियों को दूषित किया हुआ हैं।
प्रदूषण का एक कारण नदियों का दूषित होना भी हैं।
मैने बहुत लोगों को देखा हैं कपड़े बर्तन और अपने पशु को निलाहते हुए। नदियाँ प्रकृति की ही देन हैं इसको दूषित ना करें।
इन्ही कारणों की वजह से गंगा-यमुना जैसी नदियाँ भी दूषित हो रही हैं या कह लीजिये अपवित्र हो रही हैं।
अब इसको पढ़कर कुछ लोग बोलेंगे हम नहीं करते हम नहीं करते जी आप नहीं करते हो तो जो कर रहा हैं उसको मना तो कर सकते हो।

****इधर-उधर कूड़ा ना फेकें
साफ़ सफाई का ध्यान रखें। इधर उधर कूड़ा कचरा ना फेकें।  खुद भी कूड़ा कचरा इधर उधर ना फेकें और दूसरों को भी फेकने ना दें। कूड़ा कचरा कूड़ेदान में ही डालें। 


****ओड-इवन को देखकर अपने वाहनों का प्रयोग करें

सरकार द्वारा हर साल वाहनों में ओड-इवन को लागू किया जाता है, जिससे बड़ते प्रदूषण को रोक जा सकें। सरकार द्वारा चलाए गए ओड-इवन में आप भी  सहयोग करें और प्रदूषण को कम करें।


आपको सबको पता होगा उत्तराखंड में पेड़ों को काटे जाने से रोकने के लिए "सुंदरलाल बहुगुणा" जी ने चिपको आंदोलन चलाया, और चिपको आंदोलन काफी सक्सेस भी रहा। काफी लोग इस आंदोलन से जुड़ गए थे।
आप भी कुछ ऐसा कर सकते हैं, जिससे अंधाधुन पेड़ों को कटने से रोका जा सकें, या कोई ऐसा प्रोग्राम जो साफ सफाई से संबंधित हों। लोगों को जागरूक कराएं पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए उन्हें प्ररित करें ।
















Monday, 27 September 2021

नारी शिक्षा का महत्व

  नारी शिक्षा का महत्व


आज की नारी घर की चार दिवारी में रहना पसंद नही करती। बाहर निकालकर कुछ करना चाहती हैं। अपनी पहचान बनाना चाहती हैं । और सही ही हैं आज नारी ने अपनी मेहनत और लगन से सबको पीछे छोड़ दिया हैं।
चुनोतियों का हँसकर सामना करने वाली आज की ये नारी पुरुषों से आगे हैं। समय बदल रहा है, लोगों की सोच बदल रही हैं। पहले जैसे सोच अब नहीं हैं की लड़कियों को पैदा होते ही मार दिया जाता था, उनको बोज समझा जाता था, उनको बस घर में और घर के कामों तक ही सीमित रखा जाता था। अब बात वो नही हैं लोगों की सोच के साथ लोग भी बदल रहें हैं।
अब लड़की पैदा होनें पर लड़की को बोझ नहीं लक्ष्मी बोला जाता हैं। अब लड़की के पैदा होने पर भी हर घर में थालियाँ बजती हैं, मिठाईयाँ बाटी जाती हैं। अब लड़की की शादी और चूल्हा चौक नहीं उसकी पढ़ाई के बारे में सोचा जाता हैं।

एक लड़की के लिए शादी नहीं उसका शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं।
आज भी कई  क्षेत्र  में महिलायों को शिक्षा से वंचित रखा जाता हैं,  अशिक्षित महिलाएं सिर्फ एक जिंदा लाश की तरह होती हैं। जिन्हें बस बच्चा पैदा करने की मशीन समझा जाता हैं और चूल्हा चौका तक ही रखा जाता हैं।
जबकि आज की नारी चाँद पर पहुँच चुकी हैं । पुरुषों के साथ हर क्षेत्र में कंधे से कंधा मिलकर काम कर रही हैं।  इसमें सबसे बड़ा रोल एजुकेशन का हैं। 

नारी के लिए शिक्षा का बहुत महत्व हैं। आइए उसपर चर्चा करते हैं।
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नारी के लिए शिक्षा का महत्व
नारी को आत्मनिर्भर बनने के लिए शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं। जैसे वोट देना सबका मूल अधिकार हैं वैसे ही हर नारी का शिक्षित होना नारी का मूल अधिकार हैं।
देश के अच्छे विकास के लिए नारी का ही नहीं सभी का शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं।
देश की प्रगति, उन्नति, विकास और प्रगतिशील के लिए नारी का शिक्षित होना अत्यंत आवश्यक हैं।
शिक्षित होने से बच्चों का ठीक से पालन पोषण कर सकती हैं। परिवार को चलाने में अपने पति का हाथ बटा सकती हैं।

 


रूरल एरिया में अभी भी शिक्षा का अभाव हैं। वहाँ महिलाएं तो अशिक्षित हैं ही पुरुष भी ना के बराबर शिक्षित मिलेंगे। इसलिए आज तक रूरल एरिया का विकास नहीं हो पाया। आप खुद देख सकते हैं रूरल एरिया में मृत्यु दर भड़ता जा रहा है क्योंकि आए दिन कोई ना कोई बच्चा कुपोषण का शिकार हों जाता हैं।
परिवार को ठीक तरह से चलाना, बच्चों का अच्छे से पालन पोषण करना एक शिक्षित महिला या एक शिक्षित माता कर सकती हैं। वैसे तो परिवार तथा बच्चों के पालन पोषण के लिए स्त्री और पुरुष दोनों का शिक्षित होना जरूरी हैं। पर हम यहाँ स्त्री शिक्षा की बात कर रहें हैं। आज के समय में हर नारी के लिए शिक्षा का बहुत महत्व हैं।

महिलायों के लिए शिक्षा के लाभ

शिक्षा हर किसी के जीवन का एक अभिन्न अंग हैं।
पर यहाँ हम बात महिलायों की शिक्षा का कर रहें हैं।
हर महिला का शिक्षित होना बहुत जरूरी हैं।
शिक्षित महिलाएँ हर  क्षेत्र  में अपना योगदान दे सकतीं हैं।
शिक्षित महिला कमा सकती है और अपने परिवार की आय में योगदान कर सकती है। बाल और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद करती हैं। शिक्षित महिलाएं अपने बच्चों की देखभाल बेहतर ढंग से कर करती हैं तथा बाल और मातृ मृत्यु दर को कम करने में मदद करती हैं। शिक्षित महिलाएं घरेलू हिंसा से स्वयं को बचा सकतीं हैं।


पर अभी भी महिलायों की शिक्षा में बहुत सी रुकावटें आती हैं आइये उनपर पर चर्चा करते हैं.....
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महिलायों की शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारक.......

****  लिंग भेद भाव
**** आर्थिक स्थिति
**** पितृसत्तात्मक समाज
**** सामाजिक सोच
**** सुरक्षा का अभाव
****स्वास्थ्य और स्वच्छता

सरकार द्वारा महिलायों की शिक्षा के लिए कुछ प्रोग्राम चलाए गए हैं.... जो इस प्रकार हैं।

सर्व शिक्षा अभियान

इंदिरा महिला योजना

बालिका समृद्धि योजना

राष्ट्रीय महिला कोष

महिला समृद्धि योजना

रोजगार और आय सृजन प्रशिक्षण-सह-उत्पादन केंद्र

ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों के विकास का कार्यक्रम

"आज की नारी सब पर भारी"
ये बात आज की नारी ने सिद्ध कर दी हैं। अगर महिलायों को थोड़ा सहयोग किया जाए तो वो

पत्थर को भी सोना बना सकती हैं।
समाज और देश की प्रगतिशील के लिए महिलायों का हर क्षेत्र में सहयोग करें। महिलायों के विकास की और एक कदम बढ़ाए। उनको अपना थोड़ा सहयोग दें। बाकी रास्तें तो वो खुद बना लेंगी।

"अगर आप एक पुरुष को शिक्षित करते हैं तो आप एक पुरुष को ही शिक्षित करते हैं, लेकिन  अगर आप एक स्त्री को शिक्षित करते हैं तो आप एक पूरी पीढ़ी को शिक्षित करते हैं। "

Tuesday, 14 September 2021

Hindi Medium

                     Hindi Medium

"हिंदी हैं देश की धरोहर, हिंदी हैं हमारी राष्ट भाषा। "

आज सबसे अहम टॉपिक भाषा। भाषा से कैसे एक व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता हैं।
पहले बात करते हैं की भाषा क्या है।

 
भाषा......

 बात को साधारण शब्दों में किसी दूसरे तक पहोचाना ही भाषा हैं।
हमारी भाषा बहुत मायने रखती हैं हमारे लाइफ में।
भाषा कोई सी भी हो भाषा स्वच्छ और साधारण होनी चाहिए।
आप अपनी लाइफ स्टाइल मे जो भी भाषा बोलते हैं, इंग्लिश - हिंदी वो साधारण, स्वच्छ होनी चाहिए।
क्योंकि अपनी बोलचाल से अपनी भाषा से हम किसी को भी अपना बना सकते हैं। इसलिए हमारी भाषा में प्यार और अपनापन होना चाहिए।

ये तो भाषा से संबंधित कुछ बातें की हैं , की भाषा क्या है। अब जिसके बारे में चर्चा करनी है उसके बारे में बात करते हैं, यानी अपनी मातृ भाषा हिंदी

मारी मातृ भाषा हिंदी

ये तो सभी जानते हैं, की हिंदी हमारी मातृ भाषा हमारी राष्ट भाषा हैं।
हिंदी ही एक ऐसी भाषा हैं जिसमें प्यार अपनापन होता हैं।  शब्दों में एक शेहद वाली मिठास होतीं हैं।
लेकिन आजकल यही हिंदी जो हमारी मातृ भाषा है
उसको बोलना कोई पसंद नहीं करता है।
मुझे लगता है की अब हमारी मातृ भाषा हिंदी नही इंग्लिश हो गई है।  क्योंकी अब हर जगह इंग्लिश को ही महत्व दिया जाता है। अब स्कूलों में भी हिंदी को कोई प्राथमिकता नही देता है।
  हिंदी हर स्कूल में हर क्लास के लिए होनी चाहिए। हिंदी एक मेन कोर्स में होनी चाहिए। 

"आने वाले पीढी को हिंदी का ज्ञान देने के लिए आज से ही देनी होगी हिंदी की शिक्षा।"


हमारे देश में राष्ट्र भाषा हिंदी का एक महत्वपूर्ण स्थान है।
सरकार के साथ साथ आम जनता को भी हिंदी भाषा के उत्थान के लिए प्रयास करने चाहिए।
हिंदी भाषा के उत्थान के लिए बच्चों को किसी ना किसी मध्यम से हिंदी भाषा के बारे में बताना चाहिए। ताकि हिंदी भाषा को बढ़ावा मिल सके।

मातृ भाषा हिंदी का महत्व

हमारे देश में हमारी हिंदी भाषा का बहुत महत्व हैं। लेकिन धीरे-धीरे देश में हिन्दी भाषा का प्रचलन खत्म हो रहा हैं और हमारी राष्ट्रभाषा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत पसंद की जाती है। इसका एक कारण यह है कि हमारी भाषा हमारे देश की संस्कृति और संस्कारों का प्रतिबिंब है। आज विश्व के कोने-कोने से विद्यार्थी हमारी भाषा और संस्कृति को जानने के लिए हमारे देश का रुख कर रहे हैं। एक हिन्दुस्तानी को कम से कम अपनी भाषा यानी हिन्दी तो आनी ही चाहिए, साथ ही हमें हिन्दी का सम्मान भी करना सीखना होगा। इसलिए हर साल पूरे देश में 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाया जाता हैं।


हिंदी दिवस क्यों मनाया जाता हैं

आज दुनिया भर में इंग्लिश बोलने का चलन बढ़ता जा रहा है। सभी लोग इंग्लिश भाषा की और बढ़ रहे।
लेकिन हिंदी का अस्तित्व आज भी कायम हैं। और हिंदी का अस्तित्व आगे भी कायम रहेगा आने वाली पीढ़ी को हिंदी का महत्व समझना होगा।
हिन्दी भाषा हिन्दुस्तान की पहचान है, जिसे देश में सबसे ज्यादा बोला जाता है। और बोलना भी चाहिए अपने रोज के कामो में हिंदी भाषा को ही बोलना चाहिए। हमारे देश में हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा का दर्जा हासिल है, राष्ट्रभाषा के प्रचार और प्रसार के लिए ही हर साल पूरे देश में 14 सितंबर को हिन्दी दिवस के रूप में मनाया जाता है।

अंग्रेजी के बाजार में पिछड़ती अपनी मातृ भाषा हिंदी

अंग्रेजी के इस बाजार में हिंदी पिछड़ती जा रही हैं। आज हिंदी बोलने वाला अनपढ़ - गंवार समझा जाता हैं।
यही नही आज कल माता-पिता अपने बच्चों को इंग्लिश बोलने के लिए प्ररित करते हैं। और बच्चा इंग्लिश में बात करता है तो गर्व महसूस करते हैं। पैदा होते ही बच्चा अंग्रेजी भाषा का गुलाम बन जाता हैं।
आज हिंदी भाषा को कोई भी सम्मान नही देना चाहता हैं। 
आज दो-चार लोगों के बीच में खड़ा एक व्यक्ति हिंदी  भाषा को बोलता हैं तो उसको गंवार समझा जाता हैं।
इसीलिए आज लोग हिंदी बोलने से घबराते हैं। पहले भारत देश अंग्रेजों का गुलाम था अब अंग्रेजी भाषा का गुलाम बना बैठा हैं।
आज हिंदी भाषा को कोई भी सम्मान नही देना चाहता हैं। हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा हैं हिंदी भाषा को मान- सम्मान दें।

सभी देशवासियों को हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं

एक आम